उज्जैन

नेशनल सिस्टर्स डे : बचपन की शरारतें तो अब भी हैं, लेकिन दीदी आप मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो

छोटी बहन अपनी बड़ी बहन को कभी दोस्त, तो कभी जीवन में आने वाली हर कठिनाई को दूर करने वाली हमदर्द मानती है।

उज्जैनAug 04, 2019 / 12:11 am

Lalit Saxena

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उज्जैन. प्रेम और अपनापन जताने वाली बड़ी बहन अपनी छुटकी की शरारतों को कभी बड़ों से छुपाती है, तो कभी खुद बड़ी बनकर डपट भी लगाती है। यह नजारा हर उस घर में देखा जा सकता है, जहां बहनें हों। छोटी बहन अपनी बड़ी बहन को कभी दोस्त, तो कभी जीवन में आने वाली हर कठिनाई को दूर करने वाली हमदर्द मानती है। नेशनल सिस्टर्स डे पर शहर के एक परिवार की दो बहनों ने अपने विचार पत्रिका के साथ साझा किए।

बड़ी बहन सच्ची दोस्त
यह कहानी है ऋषिनगर निवासी रश्मि और रंजीता की। उनके पिता का देहांत 1999 में ही हो गया था। मां और भाई ने इन्हें कभी उनकी कमी का अहसास नहीं होने दिया। वहीं बड़ी बहन भी सच्ची दोस्त बनकर उन्हें हर मुश्किल में साथ देती रही हैं। रश्मि बड़ी और रंजीता छोटी हैं। वर्तमान में दोनों ही शिक्षिकाएं हैं। अब जब वे दूसरों को शिक्षित करने का कार्य कर रही हैं, तो ऐसे में बच्चों के बीच उनका सारा दिन तो व्यतीत हो जाता है, लेकिन शाम को जब दोनों साथ होती हैं, तो बचपन की वही शरारतें फिर से शुरू कर देती हैं।

कोई भी दो बहनें एक जैसी नहीं होतीं

इनका मानना है कि कोई भी दो बहनें एक जैसी नहीं होतीं, लेकिन प्रेम और अपनापन जहां हो, वहां झगड़ों को भी दूर किया जा सकता है। भोजन, साफ-सफाई और घर के अन्य कामों में हम बहनें निजी तौर पर ईष्र्या न करते हुए एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं। एक-दूसरे की भावनाओं को समझती हैं। समय आने पर दीदी मुझे महत्वपूर्ण सुझाव भी देती हैं। हां, लेकिन जब मैं उनकी छुटकी बनकर परेशान करती हूं, तो उन्हें भी वे दिन याद आते हैं, जब हम छोटे थे। हम बहनों का ये अद्वितीय बंधन जीवन में उमंग सा भर जाता है। बहनों का यह विशेष दिन उन पलों को गले लगाता है, जो खुद हंसते-हंसाते और गुदगुदाते रहते हैं।

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