scriptकैंसर से आज भी लड़ रहा यह शहर | National Surgical Oncologist Day today: ujjain needs cancer hospital | Patrika News

कैंसर से आज भी लड़ रहा यह शहर

locationउज्जैनPublished: Aug 21, 2019 11:17:35 pm

Submitted by:

aashish saxena

नेशनल सर्जिकल ऑनकोलॉजिस्ट डे आज: मुख्यालय से प्रस्ताव तो कई बार मांगे लेकिन ओटी और सर्जरी की सुविधा नहीं मिल सकी

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उज्जैन. शहर में कैंसर यूनिट शुरू हुए करीब तीन वर्ष (दो वर्ष १० माह) हो चुके हैं लेकिन कैंसर हास्पिटल बनने की उम्मीद, उम्मीद तक ही सिमित है। अधिकारी-जनप्रतिनिधियों की घोषणा और लंबा समय बितने के बावजूद न यूनिट हास्पिटल में परिवर्तित होने तक का सफर तय कर पाई और नहीं कैंसर सर्जरी की सुविधा शुरू हो सकी है। यह स्थिति तब है जब ऑपरेशन थिएटर बनाने के लिए कई बार स्वास्थ्य विभाग मुख्यालय प्रस्ताव मांग चुका है और सर्जरी करने के लिए अन्य शहरों के विशेषज्ञ उज्जैन आने को तैयार हैं।

आगररोड स्थित सख्यारजे प्रसूतिग्रह भवन में २ अक्टूबर २०१६ को कैसर यूनिट स्थापित की गई थी। यूनिट को एक वर्ष में सौ बिस्तर के कैंसर अस्पताल के रूप में विकसित करने की योजना थी। यूनिट की शुरुआत से जिले के कैंसर पीडि़तों को कीमो थैरपी का लाभ तो मिला है लेकिन अस्पताल नहीं बनने के कारण न यहां मरीजों को भर्ती किया जा सकता है और नहीं जरूरी उपचार हो पा रहा है। यूनिट को अस्पताल बनाने की फाइल की चाल इतनी धीमी है कि करीब तीन वर्ष में भी यहां ऑपरेशन थिएटर स्थापित नहीं हो पाया है। एेसे में कैंसर पीडि़त सर्जरी के लिए आज भी अन्य शहर जाने को मजबूर हैं। गुरुवार को मनाए जाने वाले नेशनल सर्जिकल ऑनकोलाजिस्ट-डे पर जिले में कैंसर उपचार सुविधा को लेकर एक रिपोर्ट-

एक वर्ष में अस्पताल बनाने की थी योजना

कैंसर यूनिट खुलने के बाद एक वर्ष में इसे सौ बिस्तर का कैंसर हास्प्टिल बनाने की योजना थी। इसके लिए वरिष्ठ अधिकारी-नेताओं ने दावे-घोषणाएं भी कीं लेकिन अभी तक एेसा हो नहीं पाया। अस्पताल बनाने के लिए उज्जैन से भोपाल तक फाइल भी चली लेकिन दो वर्ष 10 माह बीतने के बाद भी यूनिट अस्पताल में तब्दील नहीं हो पाई है।

3350 कैंसर मरीज रजिस्टर, डे-केयर तक सीमित

यूनिट में महज एक डॉक्टर डॉ. सीएम त्रिपाठी और तीन-चार नर्स ही पदस्थ हैं। यूनिट प्रारंभ होने के बाद अब तक यहां जिलेभर के 3 हजार 350 कैंसर मरीज रजिस्टर हो चुके हैं। इसके बावजूद यूनिट की सुविधा मेडिकल व पेलेटिव केअर तक सीमित है। मेडिकल में जहां कीमोथैरेपी की सुविधा मिलती है। वहीं पेलेटिव में एेसे मरीजों की देखभाल की जाती है जिनका उपचार तीन-चार वर्ष तक किया जा सकता है। भर्ती करने की सुविधा व संसाधन नहीं होने से मरीजों को किमो थैरेपी देकर उसी दिन लौटा दिया जाता है। वर्तमान में प्रतिदिन औसत 10 मरीज किमो थैरेपी के लिए यहां आते हैं।

प्रस्ताव मांगे, बजट नहीं मिला

कैंसर का ऑपरेशन करने के लिए यहां करीब डेढ़ करोड़ रुपए की लागत से ऑपरेशन थिएटर स्थापित किया जाना है।
बीते वर्षों में करीब आधा दर्जन बार भोपाल से इसके लिए प्रस्ताव मंगवाया जा चुका है लेकिन अभी तक न बजट मंजूर हो सका और नहीं ओटी निर्माण की कोई प्रक्रिया शुरू हुई।

सर्जरी के लिए दूसरे शहरों में जाते मरीज

उज्जैन में कैंसर सर्जरी के लिए ऑपरेशन थिएटर की कवायद शुरू होने पर अन्य शहरों के चिकित्सकों ने यहां सेवा देने का भरोसा दिलाया था। बड़े शहरों के डॉक्टर्स यहां आकर ऑपरेशन करने के लिए तैयार हो गए थे लेकिन ओटी ही नहीं बन पाया। एेसे में ब्रेस्ट कैंसर का ऑपरेशन तो निजी स्तर पर हो जाता है लेकिन अन्य ऑपरेशन के लिए मरीज को इंदौर, दिल्ली, अहमदाबाद, बड़ोदरा जाना पड़ रहा है।

इनका कहना

जिले में कैंसर मरीजों की संख्या ३३५० हो गई है। कैंसर यूनिट में सर्जरी की सुविधा नहीं है। कैंसर हास्पिटल बनाने की योजना है जिसके लिए शासन स्तर पर कार्रवाई प्रचलित है।

– डॉ. सीएम त्रिपाठी, कैंसर यूनिट प्रभारी

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