उज्जैनPublished: Oct 20, 2019 09:44:22 pm
Shailesh Vyas
चिंतामण बायपास का पैचवर्क भी 24 घंटे में उखड़ा गया। इस स्थिति में निर्माण के बाद अब मरम्मत की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे है।
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उज्जैन. सिंहस्थ-2016 में बीओटी के तहत 94 करोड़ रुपए खर्च कर बने 14 किमी का टू-लेन चिंतामण बायपास के एक हिस्सा निर्माण के बाद से हर वर्ष बरसात में खराब हो जाता है। इससे साफ है कि निर्माण के दौरान तकनीकी पक्ष और गुणवत्ता को नजरअंदाज किया गया। अब हालात यह है कि इसकी मरम्मत में भी लापरवाही बरती जा रहीं है। यह अनुमान सड़क की स्थिति से लगाया जा सकता है कि पैचवर्क 24 घंटे के भीतर उखड़ गया। इसके गिट्टी सड़क पर फैलने लगी है।
विकास के लिए सड़कों का सही हालत में होना जरूरी है। सरकार भी सड़कों को विकास का पर्याय मान इनके निर्माण पर राजस्व का एक बड़ा हिस्सा खर्च करती है। फिर भी तकनीकी पक्ष की अनदेखी के साथ निर्माण में गुणवत्ता के अभाव में सड़कें ऐसी बनती हैं, जिनमें कुछ समय बाद ही गड्ढों का बसेरा बन जाता हैं। सड़कों पर गड्ढों की वजह से हादसे होते हैं। एक सड़क इंदौर रोड को उज्जैन शहर के बाहरी हिस्से से बडऩगर-नागदा रोड से जोडऩे वाला चिंतामण बायपास है। इसके निर्माण को अभी ४ वर्ष ही हुए हैं और सड़कों पर जगह-जगह पैचवर्क और असमतल सतह बीओटी की सड़क बेहतर होने के सरकारी दावे को मुंह चिढ़ाते हैं।
गिट्टी सड़क पर फैलने लगी
चिंतामण बायपास पर बरसात से खराब सड़क एक हादसे के बाद ठेकेदार द्वारा पैचवर्क किया गया, लेकिन वह २४ घंटे के भीतर ही उखड़ गया। नतीजतन फिर से डामर की परत टूटने के साथ गिट्टी सड़क पर फैलने लगी है। तकनीकी और गुणवत्ता की अनदेखी क्षिप्रा पुल से लेकर हाटकेश्वर विहार कॉलोनी तक की सड़क का हिस्सा निर्माण के बाद से ही एक वर्षाकाल में दबकर सड़क को क्षतिग्रस्त कर देता है। टोल कंपनी भी पैचवर्क कर कर्तव्य की इतिश्री करती है। किसी ने भी परीक्षण कर यह जानने का प्रयास नहीं किया कि आखिरकार क्या वजह है कि सड़क का यही हिस्सा अधिक खराब होता है। जानकारों के अनुसार सड़क निर्माण से जुड़े विभाग अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं। सड़क निर्माण के दौरान निर्माण सामग्री को सही तकनीक और अच्छी तरीके से नहीं भरने के कारण सामग्री सेटल नहीं होता है। यह वर्षाकाल और भारी वाहनों के गुजरने के कारण दबाव से सड़क जगह-जगह से धंसती है। इनकी मरम्मत भी उचित पैमाने और मापदंड से नहीं होती है। एेसे में लोगों को गड्ढ़ों और उबड़-खाबड़ सड़कों से निजात नहीं मिलती है।
किसी का ध्यान नहीं
सिंहस्थ २०१६ में बीओटी के तहत निर्मित चिंतामण बायपास का उपयोग केवल आम लोग नहीं सरकार के नुमाइंदे भी करते हैं। सत्तारूढ़ पार्टी के नेता, प्रशासनिक अधिकारी इस बायपास से होकर निकलते हैं। मंत्री और कई निर्वाचित जनप्रतिनिधि चिंतामण गणेश मंदिर जाने के अलावा उज्जैन होकर बडऩगर-नागदा और रतलाम जाने-आने के लिए इस मार्ग गुजरते है, लेकिन बदहाल बायपास की सुध लेने को तैयार नहीं है।