उज्जैनPublished: Dec 11, 2019 11:46:52 am
Mukesh Malavat
रोल नंबर जनरेट नहीं हुए इसलिए नहीं बैठने दिया परीक्षा में
रोल नंबर जनरेट नहीं हुए इसलिए नहीं बैठने दिया परीक्षा में
उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय में पीएचडी, एमफिल प्रवेश परीक्षा में कुछ और विसंगतियां सामने आई हैं। विवि प्रशासन की लापरवाही के कारण 20 से अधिक छात्र परीक्षा से वंचित हो गए।
विक्रम विवि द्वारा रविवार को पीएचडी, एमफिल प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया गया था। इसमें 20 से अधिक विद्यार्थी शामिल नहीं हो सके। परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन पत्र लिए गए थे। आवेदन को भरने के स्पष्ट निर्देश नहीं होने के कारण छात्रों द्वारा भूलवश या जानकारी के अभाव में कॉलम की पूर्ति कर दी। नतीजतन इनके रोल नंबर जनरेट नहीं हुए और विवि प्रशासन ने उन्हें परीक्षा में नहीं बैठने दिया। नियमानुसार यूजीसी से अधिकृत टीचर्स फेलो को प्रवेश परीक्षा में शामिल होने की आवश्यकता नहीं है। विवि प्रशासन ने आवेदन में टीचर्स फेलो के लिए हां/नहीं का कॉलम भी रखा था। इसकी पूर्ति किसे करना थी और किसे नहीं यह स्पष्ट नहीं किया गया। ऐसी स्थिति में स्कूल में अध्ययन कराने वाले या कॉलेज/विवि में अतिथि विद्वान/संविदा पर शिक्षण कार्य करने वाले विद्यार्थियों ने इसकी पूर्ति कर दी, जबकि इसकी पूर्ति केवल यूजीसी से अधिकृत टीचर्स को करना थी। टीचर्स फेलो कॉलम की पूर्ति हां में होने की वजह से ऑनलाइन आवेदन नियमानुसार स्वीकार नहीं हुआ और परीक्षा में बैठने से वंचित हो गए। रविवार को जब परीक्षा देने के लिए केंद्र पहुंच कर अंडरटैकिंग देने का वादा करने पर भी विवि प्रशासन ने रोल नबंर नहीं होने का हवाला देते हुए परीक्षा में शामिल करने से इनकार कर दिया। जानकारों का कहना है कि नियम अनुसार किसी भी परीक्षा में शामिल होने से विद्यार्थियों को कोई भी विसंगति सामने आने पर परीक्षा देने से नहीं रोका जा सकता हैं। यदि कोई परेशानी/दिक्कत है तो विद्यार्थी से अंडरटैकिंग लेकर परीक्षा की अनुमति दी जाए। विवि ने उक्त मामले में नियम का पालन नहीं किया।
किसी में दो तो किसी में तीन सदस्य
पीएचडी, एमफिल प्रवेश परीक्षा मूल्यांकन के लिए निमयमानुसार पांच सदस्यों की शोध सलाहकार समिति (रिसर्च एडवाइजरी कमेटी) होना चाहिए थी। प्रवेश परीक्षा की ज्यादातर परिणाम शीट पर दो या तीन सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। इससे साफ है कि किसी विषय का मूल्यांकन दो तो किसी का तीन सदस्य ने किया है। एक या दो विषय का मूल्यांकन पूरे पांच सदस्य की कमेटी द्वारा किया गया हैं। कम सदस्यों के मूल्यांकन से परीक्षा में पक्षपात की आशंका है। इस संबंघ में प्रतिक्रिया के लिए विवि कुलपति बीके शर्मा, कुलसचिव डीके बग्गा और परीक्षा के मुख्य समन्वयक, विवि कुलानुशासक शैलेंद्र कुमार शर्मा से संपर्क साधा गया, लेकिन तीनों ने देर रात तक फोन अटेंड नहीं किए।