उज्जैन पुलिस को चुनाव से पूर्व बड़ी सफलता हाथ लगी है। शहर में लगातार अपराध को अंजाम दे रही 18 से 22 साल के लड़कों की गैंग पुलिस के हत्थे चढ़ी है। इसका सरगना दुर्लभ कश्यप अपराध कर फेसबुक से प्रचार करता था। यह पैसे लेकर अपराध करने और अपराध की दुनिया में खुद का नाम दहशत के रूप में स्थापित करने के लिए गैंग के रूप में काम रहे थे। साथ ही सुपारी लेकर भी विवाद और हंगामे में शामिल हो रहे थे। गैंग पर अगर समय रहते लगाम नहीं लगती तो यह भविष्य में बड़े अपराध को भी अंजाम दे सकती थी। हालांकि पुलिस ने गैंग के सभी सदस्यों को रिमांड पर लिया है और इनकी सभी गतिविधियों के साथ पनाहगारों को तलाश रहा है, जो इन्हें किसी भी तरह की मदद करते है।
फेसबुक पर खुद को इंदौर का बताते हैं
ड्रेस कोड, तिलक, बाल के साथ ही गैंग की एक अन्य खास बात थी कि यह सभी खुद को इंदौर का निवासी बताते हैं। फेसबुक आइडी पर ये सभी सदस्यों ने खुद को उज्जैन का मूल निवासी और इंदौर का वर्तमान निवासी बताते हैं। जैसे ही गैंग से कोई नया सदस्य जुड़ता तो वह यह स्टेट्स अपडेट कर देता।
पूरा खेल मामा के हाथ में: नए लड़कों की गैंग तैयार करने के पीछे भी शहर में दहशत बनाकर पैसा बनाना था। यह गैंग जेल में बंद हेमंत बोखला के नाम पर काम रही थी, लेकिन पूरा नियंत्रण राहुल कलोसिया का था। वह गैंग के सदस्यों में मामा जी के रूप में स्थापित थे।
पुलिस तलाश रही इन सवालों के जवाब
अब तक गैंग के द्वारा किए गए अपराध।
गैंग को फरारी व अपराध के लिए मदद कने वाले।
गैंग ने पैसे लेकर कितने अपराध किए।
सोशल नेटवर्किंग साइट पर गैंग का काम कौन-कौन कर रहा था।
गैंग से महिला सदस्य जुड़ी हैं, तो उनकी भूमिका क्या।
40 से 50 लड़कों की गैंग का चुनाव में तो प्रयोग नहीं होने वाला था।