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टीकाकरण के बाद नवजात की मौत, तीन बीमार

locationउज्जैनPublished: Sep 01, 2019 01:27:39 am

Submitted by:

Mukesh Malavat

शाजापुर जिले के ग्राम लिंबोदा का मामला, ग्रामीणों ने की दोषियों पर कार्रवाई की मांग

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शाजापुर. गांव में प्रतिमाह होने वाले टीकाकरण के तहत गत दिनों जिला मुख्यालय से करीब 15 किमी दूर ग्राम लिंबोदा में 7 बच्चों को विभिन्न बीमारियों से बचाव के टीके लगाए गए थे। टीकाकरण के दो दिन बाद इन 7 में से 4 बच्चों की तबीयत बिगड़ गई, जिनका अस्पताल में उपचार कराया गया। वहीं टीकाकरण के दो दिन बाद एक नवजात की मौत हो गई। सूचना मिलने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में जांच करने के लिए पहुंची। इधर ग्रामीणों ने मामले में विस्तृत जांच की मांग करते हुए दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।
गांव में प्रतिमाह के चौथे शुक्रवार को डेढ़ माह से लेकर 16 साल तक के बच्चों को पोलियो, रोटा वायरस, पैंटम, एफआइपीबी, पीसीबी सहित अन्य बीमारियों से बचाव के लिए टीके लगाए जाते हैं। ग्राम लिंबोदा में भी इसी क्रम में लंबे समय से टीकाकरण किया जा रहा है। अगस्त माह के चौथे शुक्रवार को जन्माष्टमी के कारण अवकाश होने पर यहां 27 अगस्त मंगलवार को उपस्वास्थ्य केंद्र सामगी में अटैचमेंट के तौर पर पदस्थ एमपीडब्ल्यू दिनेश प्रजापति अपने साथ वैक्सीन सहायक एवीडी मुकेश कुमार को लेकर ग्राम लिंबोदा पहुंचे थे। गांव में स्थित आंगनवाड़ी केंद्र पर एमपीडब्ल्यू प्रजापति ने कुल 7 बच्चों को टीके लगाए। इसके बाद वे वापस लौट गए। टीका लगने के बाद तो सभी बच्चें स्वस्थ्य थे, लेकिन 28 -29 अगस्त की रात में यहां पर बुलबुल पति राजेंद्रसिंह के एक माह के बेटे अथर्व की तबीयत खराब हो गई। सुबह जब परिजनों को इसकी जानकारी मिली तो वे नवजात को लेकर शाजापुर निजी अस्पताल में पहुंचे, लेकिन यहां पर डॉक्टर नहीं होने से वे नवजात को लेकर जिला अस्पताल आ गए। यहां पर जांच के बाद डॉक्टर ने नवजात को मृत घोषित कर दिया। इधर गांव में इसी दिन मोना पति कमल के पुत्र विजय, माया पति शैलेंद्र के नवजात आरोहित और रीना पति राजकुमार के बेटे प्रदीप की भी तबीयत बिगड़ गई। इन तीनों बच्चों को भी 27 अगस्त को ही टीके लगाए गए थे।
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव पहुंचकर जानी स्थिति
29 अगस्त को बच्चे की मृत्यु की सूचना मिलने के बाद 30 अगस्त को उज्जैन जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कनासिया और अन्य स्थानों से डॉक्टर्स व अन्य स्वास्थ्य विभाग का अमला गांव पहुंचा और मामले की जानकारी ली। इसके बाद 31 अगस्त शनिवार को एक बार फिर यहां पर स्वास्थ्य विभाग के चार कर्मचारी पहुंचे और ग्रामीणों से चर्चा करने लगे। इन चारों कर्मचारियों ने बताया कि वो तो मामले जांच करने के लिए गांव आए हैं।
परिजनों और ग्रामीणों ने जताया रोष
शनिवार को मामले की जांच के लिए गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कनासिया से एमपीएस संतोष रायकवार, कंपाउंडर मुकेश श्रीवास, वैक्सीन सहायक एवीडी मुकेश कुमार सहित गोलवा उपस्वास्थ्य केंद्र के एमपीडब्ल्यू हरिराम चटार यहां पहुंचे। ग्राम में घूमकर उन्होंने स्थिति को जाना, इसके बाद जिस नवजात की मृत्यु हुई, उसके घर पहुंचकर परिजनों से चर्चा करने लगे। पत्रिका से चर्चा में टीम के सदस्यों ने बताया कि बुलबुल के जिस बेटे की मृत्यु हुई है उसे 27 अगस्त को 3 टीके लगाए गए और दो दवाइयां पिलाई गई थी। इसके बाद दो दिन उसे कुछ नहीं हुआ। बाद में 29 अगस्त को उसकी मृत्यु हो गई। टीम का कहना था कि उसकी मृत्यु कैसे हुई इसका कारण तो पोस्ट मार्टम होने पर ही पता लग सकता था। टीम के पीएम की बात करने पर यहां मौजूद परिजन और ग्रामीण भडक़ गए। परिजनों का कहना था कि वो अभी बेटे को गड्ढें में से निकालकर लाते है, कराओ उसका पोस्टमार्टम, लेकिन ये तो बताओं टीके से उसकी जान कैसे चली गई। इस दौरान जमकर गहमा-गहमी होने लगी। हालांकि मौके पर मौजूद कुछ लोगों ने दोनों पक्षों को समझाकर मामले को शांत कराया।
गांव नहीं आए टीका लगाने वाले एमपीडब्ल्यू
जांच करने ग्राम लिंबोदा पहुंची टीम के सदस्यों से पूछा गया कि जिस एमपीडब्ल्यू दिनेश प्रजापति ने टीका लगाया था उसने इसके पहले भी गांव में टीकाकरण किया है क्या? इस पर टीम के सदस्यों ने बताया कि एमपीडब्ल्यू प्रजापति पहले दूसरे गांव में पदस्थ थे। कुछ समय पहले ही अटैचमेंट पर उन्हें पीएससी कनासिया में पदस्थ किया गया है। इस स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत वो पहली बार गांव में आए थे। जब ग्रामीणों ने एमपीडब्ल्यू प्रजापति के आने के बारे में पूछा तो टीम के सदस्य मामले को टालते रहे।
पहला बच्चा था और चला गया कुलदीपक
बुलबुल अपनी पहली संतान को जन्म देने के लिए मायके आई थी। यहां पर उसने स्वस्थ शिशु को जन्म दिया था। परिजनों ने कहा कि उन्हें क्या पता था कि उसके स्वस्थ्य जीवन के लिए लगाए जा रहे टीके के कारण उसकी जान चली जाएगी। बुलबुल के पिता सहित अन्य सभी परिजन अपने कुलदीपक के चले जाने से खासे गमगीन थे। परिजनों सहित समस्त ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग की टीम से मामले की विस्तृत जांच करने की मांग करते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही परिजनों ने यह भी कहा कि यदि उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया तो वे सभी उज्जैन पहुंचकर वरिष्ठ अधिकारियों से भी संपर्क करेंगे।
बुलबुल के परिजनों ने फोन पर जानकारी दी थी कि टीका लगने के बाद बेटा बीमार हो गया और उसकी मृत्यु हो गई है। बच्चे की मृत्यु कैसे हुई इसकी जानकारी लेने के लिए गांव पहुंचे थे। यहां की रिपोर्ट तैयार करके वरिष्ठ स्तर पर भेजी जाएगी। वहीं से मामले में अगली कार्रवाई होगी।
– संतोषकुमार रायकरवार, सुपरवाइजर, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, कनासिया

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