महाकाल मंदिर में वर्तमान में व्यवस्थित भोजनशाला नहीं है। फिलहाल मंदिर के पीछे स्थित धर्मशाला में भोजनशाला संचालित कर रही है। इसमें ७०-८० लोगों को एक साथ भोजन कराया जाता है। मंदिर प्रशासन इस भोजनशाला को व्यापक रूप देकर शिर्डी की तर्ज पर विकसित करना चाहता है। ताकि मंदिर आने वाले श्रद्धालु भोजन प्रसाद ग्रहण कर सके। इसमें एक साथ एक हजार लोग भोजन कर सकेंगे। भोजनशाला के लिए मंदिर के आसपास जमीन तलाशना भी शुरू कर दी गई है। हाल ही में अधिकारियों ने नृसिंहघाट के पास सरकारी जमीन देखी है। इसके अलावा मंदिर के आसपास भी रिक्त जमीन तलाशी जा रही है। अधिकारियेां का मानना है कि मंदिर के पास जमीन मिलती है तो भक्तों को दूर तक नहीं जाना पड़ेगा। अगर जरूरत पड़ी तो भूमि अधिग्रहण भी किया जा सकता है।
आधुनिक संसाधनों से युक्त रहेगी भोजनशाला
महाकाल मंदिर द्वारा प्रस्तावित भोजनाशाला को पूर्णत: आधुनिक रूप दिया जाएगा। भोजन करने आने वाले श्रद्धालुओं को चंद मिनटों में भोजन परोसने, जूठे बर्तन साफ करने व तय समय में चार से पांच हजार लोगों को भोजन बन सके इस मान से व्यवस्था रहेगी। वहीं भोजनशाला में महाकाल के भक्तों से मदद भी लेने की योजना है।
इसलिए बना रहे
महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी से इजाफा होता जा रहा है। कई श्रद्धालु शहर में एक से दो दिन भी ठहरते हैं। लिहाजा श्रद्धालुओं की सुविधा के मद्देनजर एक बड़ी भोजनशाला की आवश्यकता है। वर्तमान में मंदिर की भोजनशाला में दिनभर में १००० से १२०० श्रद्धालुओं को ही नि:शुल्क भोजन मिल पता है। लिहाजा नई भोजनशाला बनती है तो चार से पांच हजार भक्त भोजन ग्रहण कर सकेंगे।
५०० कमरों की धर्मशाला भी बनेगी
भोजनशाला के साथ ही ५०० कमरों की एक धर्मशाला भी बनाई जाएगी। दोनों ही एक ही कैम्पस में रहेंगे। इससे यहां ठहरने वाले श्रद्धालुओं को भोजन तो मिल ही सकेगा, अन्यत्र से आने वाले भक्त भी प्रसादी ग्रहण कर सकेंगे।
इनका कहना
शिर्डी की तर्ज पर महाकाल दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भोजनशाला बनाना प्रस्तावित है। इसमें एक हजार श्रद्धालु भोजन कर सके ऐसी व्यवस्था रहेगी। इसी के साथ ५०० कमरे की धर्मशाला भी बनाई जाएगी। जयसिंहपुर के पास जमीन भी देखी है।
– शशांक मिश्रा, कलेक्टर