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जिला अस्पताल में भी मरीजों को सुविधा नहीं, भेजना पड़ता है बाहर

locationउज्जैनPublished: Nov 12, 2019 11:56:51 pm

Submitted by:

Mukesh Malavat

संसाधनों व डॉक्टरों का अभाव, आगर जिला अस्पताल बना रेफर पाइंट

No facility for patients in district hospital

संसाधनों व डॉक्टरों का अभाव, आगर जिला अस्पताल बना रेफर पाइंट

आगर-मालवा. जिला बनने के बाद क्षेत्रवासियों ने सोचा था कि अब जिला मुख्यालय पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने लगेगी, लेकिन इन 6 वर्षों के दौरान भी हालातों में कोई विशेष सुधार धरातल पर दिखाई नहीं दे रहे है। करोड़ों की लागत से बड़ौद रोड पर जिला अस्पताल का नया भवन तथा ट्रामा सेंटर तो बना दिया, लेकिन ट्रामा सेंटर में स्टॉफ नही होने से इसकी शुरूआत भी नहीं हो पाई। जिला चिकित्सालय के हाल भी बेहाल है। अस्पताल एक रेफर पाईंट के रूप में तब्दील होता जा रहा है। जिले में प्रतिदिन हादसे घटित होते है पर जिला अस्पताल में अस्थी रोग विशेषज्ञ तक नहीं है ऐसी दशा में यहां से मरीजों को या तो निजी अस्पताल भेजा जाता है या फिर उज्जैन रेफर कर दिया जाता है।
जिला अस्पताल में औसत 500 से अधिक मरीज प्रतिदिन ओपीडी में उपचार के लिए आते है और करीब-करीब 8 से 10 मरीज दुर्घटना या अन्य हादसों के शिकार होकर आते है। यहां चिकित्सा अधिकारी के 23 पद स्वीकृत है और इनके अनुपात में महज 13 डॉक्टर ही अपनी सेवाएं दे रहे है। अस्पताल में 10 डॉक्टरो की कमी लंबे समय से बनी हुई है। जिला अस्पताल में अस्थी रोग विशेषज्ञ, नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ, महिला रोग विशेषज्ञ, रेडियोलाजिस्ट, निश्चेतना विशेषज्ञ डॉक्टर न होने से न तो ऑपरेशन हो पाते है और न ही छोटे-मोटे फ्रेक्चर होने की दशा में संबंधित मरीज का उपचार हो पाता है।
दुर्घटनाएं घटित होने पर घायलो को जिला अस्पताल लाया तो जाता है लेकिन वहां सिर्फ मरहम पट्टी कर उन्हे रेफर कर दिया जाता है। यह सिलसिला जिला अस्पताल में लंबे समय से चला आ रहा है जिसकी ओर स्थानीय जनप्रतिनिधियों का भी कोई ध्यान नहीं है। उज्जैन-झालावाड़ हाइवे पर जिले की सीमा में प्रतिदिन दर्दनाक हादसे घटित होते है फिर भी पूरे जिले में अस्थी रोग विशेषज्ञ नहीं है। ठीक इसी तरह की स्थिति प्रसूता महिलाओं के साथ भी निर्मित होती है। जिला अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं निश्चेतना विशेषज्ञ नहीं होने से प्रसव ऑपरेशन नहीं हो पाते है और गंभीर अवस्था में प्रसूता महिलाओं को उज्जैन रेफर किया जाता है।
30 विशेषज्ञ के पद और पदस्थ महज 4
जिला अस्पताल में चिकित्सा विशेषज्ञ के 3, शल्य क्रिया विशेषज्ञ के 4, स्त्री रोग विशेषज्ञ के 3, शिशु रोग विशेषज्ञ के 6, अस्थी रोग विशेषज्ञ के 3, पैथोलॉजी विशेषज्ञ के 2, रेडियोलॉजिस्ट विशेषज्ञ का 1, ईएनटी विशेषज्ञ का 1, क्षय रोग विशेषज्ञ 1, नेत्र रोग विशेषज्ञ 1, दंत रोग विशेषज्ञ 1, निश्चेतना विशेषज्ञ के 4 पद स्वीकृृत है, लेकिन इन 30 विशेषज्ञ चिकित्सको के अनुपात में महज यहां 4 विशेषज्ञ कार्यरत है 26 पद विशेषज्ञ के रिक्त है।
ट्रामा सेंटर भी नहीं हुआ चालू
करोड़ों की लागत से जिला अस्पताल के पास ट्रामा सेंटर की यूनिट तो बना दी गई और वहां संसाधन भी मुहैया करा दिए गए, लेकिन स्टॉफ के नाम पर कर्मचारियों को पदस्थ नहीं किया गया जिसकी वजह से ट्रामा सेंटर की शुरूआत ही नहीं हो पाई। फिलहाल ट्रामा सेंटर परिसर में डायलेसिस, एक्सरे, ब्लड स्टोरेज यूनिट का संचालन किया जा रहा है।
176 के अनुपात में 74 कार्यरत, 102 पद रिक्त
अस्पताल में कामकाज देखने के लिए स्टॉफ नर्स से लेकर अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों के 176 पद स्वीकृत है जिसमें से महज 74 पदों पर कर्मचारी कार्यरत है। 102 पद अभी भी रिक्त पड़े हुए है। स्टॉफ नर्सांे के 100 पदों के अनुपात में महज 60 स्टॉफ नर्स कार्यरत है। ठीक इसी तरह की स्थिति तृतीय श्रेणी कर्मचारियो की भी दिखाईदेती थी। वार्डव्हाय के 24 पद स्वीकृत है पर उनके स्थान पर महज 3 कार्यरत है 21 पद इसमें भी रिक्त है।
जिला अस्पताल में लंबे समय से चिकित्सा अधिकारी एवं विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है। मानव संसाधन के अभाव में अव्यवस्थाएं तो निर्मित होती है फिर भी जितने चिकित्सक यहां पदस्थ है उनसे कार्य करवा रहे है। फिलहाल ट्रामा सेंटर का सेटअप नहीं आया है, इसलिए ट्रामा सेंटर चालू नही हो पाया है।
डॉ. जेसी परमार, सीएस जिला अस्पताल

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