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उज्जैन

यहां के टेंडर कोई भी नहीं लेना चाहता, क्या है कारण

कई सेवा व वस्तु खरीदी के टेंडर तीन से चार बुलाए

उज्जैनMay 20, 2018 / 07:32 pm

Gopal Bajpai

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उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय में सर्विस देने व सामान बेचने के टेंडर लेने में अब कोई भी फर्म रुचि नहीं दिखा रही है। विवि में छह माह में जितने भी टेंडर जारी हुए सभी की स्थिति खराब है। इनमें पुरानी फर्म ने हिस्सा लिया और काम पा लिया या फिर यह टेंडर दूसरी, तीसरी और चौथी बार बुलाए जा चुके हैं। एेसे में अधिकांश खरीदी लद्यु उद्योग निगम (एलयूएन) के सहारे चल रही है, क्योंकि एलयूएन से अधिकृत दर पर टेंडर की आवश्कयता नहीं है। हालांकि एलयूएन से हुई खरीदी भी कई बार विवादों में आ चुकी है। इसी तरह के विवादों में सीसीटीवी टेंडर रहा। इस प्रक्रिया में चहेतों को लाभ पहुंचाने के आरोप लगे। यह टेंडर करीब एक साल से ज्यादा समय से अटका हुआ है।

कई टेंडर पुरानी फर्म पर
विवि में जो टेंडर पहली बार में हो गए। इनमें से लगभग सभी काम पुरानी वाली फर्म ने लिए हैं। इसमें डिग्री प्रिंट, कॉपी प्रिंट व कागज, इलेक्ट्रॉनिक व अन्य आइटम की खरीदी शामिल है। करीब एक साल में एेसी ही स्थिति बनी हुई।

यह है खरीदी की गड़बड़ी
पूर्व कुलसचिव सुभाषचंद्र आर्य ने कुर्सी खरीदी। सप्लायर खराब व दूसरे मॉडल की कुर्सी थमा गया। कुर्सी को वापस करने तक की बात चली, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ।
विवि प्रशासन ने स्टेशनरी खरीदी। सप्लायर फाइल को बांधकर रखने वाले बैग की जगह कपड़ों के टुकड़े जोड़कर सप्लायर कर गया।
विवि में दैनिक उपयोग के लिए काफी सामान खरीदा जाता है। इनके लिए रेट अप्रूव होते हैं, लेकिन विवि ने पूर्व की रेट को ही कई बार आगे बढ़ाया।
कबाड़े के पंजीयन से खरीद लिए गोल्ड मेडल।

 

कितनी बार बढ़े टेंडर
आईयूएमएस (यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट सिस्टम) – तीसरी बार
टेंट व अन्य सामान – चौथी बार
काउकेचर – चौथी बार
टैक्सी – चौथी बार
दीक्षांत गोल्ड मेडल – चौथी बार
आंवला संजीवनी वन – दूसरी बार
ब्रेकफास्ट और टी – दूसरी बार

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