scriptविवि को मिला ये कैसा नोटिस, अधिकारी लगाने लगे कोर्ट के चक्कर | Notice to the University, the court took charge of the court | Patrika News

विवि को मिला ये कैसा नोटिस, अधिकारी लगाने लगे कोर्ट के चक्कर

locationउज्जैनPublished: Jan 07, 2019 01:11:16 am

Submitted by:

Gopal Bajpai

मामला निर्देश के बावजूद विद्यार्थियों को कॉपी नहीं देने का, छात्रा ने मांगा पांच लाख रुपए हर्जाना

patrika

मामला निर्देश के बावजूद विद्यार्थियों को कॉपी नहीं देने का, छात्रा ने मांगा पांच लाख रुपए हर्जाना

उज्जैन. राज्य सूचना आयोग के निर्देशों के बाद भी विद्यार्थियों को उत्तरपुस्तिका नहीं देना विक्रम विवि के अधिकारियों को भारी पड़ता दिखाई दे रहा है। आयोग ने विवि प्रशासन को कई बार निर्देश दिए, लेकिन जब लगातार निर्देशों की अवेहलना हुई तो विवि प्रशासन को नोटिस जारी कर दिया गया। नोटिस जारी होने के बाद विवि की तरफ से जवाब भेज दिया गया, लेकिन उन्हें खुद के खिलाफ निर्णय आने का आशंका जाहिर हुई तो उन्होंने पहले ही हाइकोर्ट में याचिका दायर कर दी। साथ ही सूचना आयोग की जो बैंच सुनवाई कर रही है। उसे भी बदलने की मांग की। हालांकि इस पूरे घटनाक्रम ने छात्रों के हक की लड़ाई को और हवा दे दी है। इस मामले में न्यायालय में सोमवार को सुनवाई होनी है।
नहीं दे रहे थे उत्तरपुस्तिका
सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत विश्वविद्यालय की परीक्षा में शामिल होने वाले विद्यार्थी नियमानुसार आवेदन कर अपनी उत्तरपुस्तिका की प्रति प्राप्त कर सकते हैं। विक्रम विवि प्रशासन 250 रुपए शुल्क लेकर उत्तरपुस्तिका अवलोकन करवा रहा था, लेकिन उत्तरपुस्तिका की प्रति नहीं दे रहा था।
लगातार गलती उजागर हो रही कॉपी में
विक्रम विवि की उत्तरपुस्तिका के अवलोकन के दौरान सैकड़ों विद्यार्थी के उत्तरपुस्तिका में मूल्यांकन खामी सामने आ रही है। कई प्रश्र की जांच नहीं होना, गलत जांच होने के साथ सैकड़ों की संख्या में मामले प्राप्तांक के जोड़ के हैं। ऐसी गलती पकड़ में आने के बाद भी विवि प्रशासन सुधार नहीं करता हैं। साथ ही कुलपति सुधार के लिए कोर्ट जाने की सलाह दे डालते हैं, जो लंबी प्रक्रिया है।
हर छात्र लड़ रहा लंबी लड़ाई- विवि प्रशासन से सूचना के अधिकार में उत्तरपुस्तिका प्राप्त करने के लिए हर छात्र को लंबी लड़ाई लडऩी पड़ रही थी। छात्र पहले लोकसूचना अधिकारी को आवेदन करता था। जो एक माह तक पड़ा रहता था। इसके बाद प्रथम अपील अधिकारी को अपील करता था। वह भी एक माह तक आवेदन रोकने के बाद उत्तरपुस्तिका नहीं देता। इसके बाद छात्र राज्य सूचना आयोग जाता। वहां से कॉपी देने के निर्देश के बाद कॉपी मिलती। इस प्रक्रिया में करीब छह माह गुजर जाते और छात्र दावा नहीं कर पाता था।
इसलिए जारी हुआ अधिकारियों को नोटिस
नागदा की छात्रा ने सूचना के अधिकार के तहत विवि से कॉपी मांगी। विवि ने प्रथम अपील के बाद भी कॉपी नहीं दी। इसके बाद छात्रा राज्य सूचना आयोग गई। कई बार निर्देश के बाद छात्रा को कॉपी मिली। फिर उज्जैन की सलोनी जोशी का मामला आया। यहां भी लंबी प्रक्रिया से कॉपी मिली, लेकिन छात्रा के नंबर 5 से बढ़कर 55 हो गए। छात्रा ने अपनी परेशानी के लिए पांच लाख क्षतिपूर्ति की मांग कर ली। इसी के साथ अन्य छात्रों के लगातार कॉपी नहीं मिलने पर शिकायत करने पर कुलपति और कुलसचिव को नोटिस जारी हो गया। हालांकि अब उत्तरपुस्तिका देना शुरू कर दिया है।
शोधार्थियों को दिखाई तक नहीं
विवि में नियमों का पालन किस तरह हो रहा है। इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि पीएचडी कोर्स वर्क की परीक्षा देने वाले छात्रों को उत्तरपुस्तिका का अवलोकन नहीं करवाया गया, जबकि इस परीक्षा के परिणाम में धांधली उजागर हुई। विद्यार्थियों को 50 में से 85 अंक मिले।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो