गौरतलब है कि पूर्व में कमलनाथ सरकार ने गोशालाओं को सरकारी खर्च से चलाने का निर्णय लिया था, जिसे अब शिवराज सरकार ने पलट दिया है। पशु पालन विभाग के उपसंचालक कार्यालय के अनुसार उज्जैन जिले में संचालित 24 शासकीय गोशालाओं में 1708 पशु हैं। इनके खान-पान और उपचार पर मोटा खर्च होता है, जिसे कम करने के लिए अब इनका संचालन निजी हाथों में सौंपा गया है।
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उज्जैन में सबसे ज्यादा
उपसंचालक पशुपालन विभाग के अनुसार 24 शासकीय गोशालाओं में सबसे अधिक 5 उज्जैन शहर में हैं। इसके साथ खाचरौद, महिदपुर, तराना, घटिटया में 4-4 जबकि बड़नगर में 3 शासकीय गोशालाएं हैं। पशुपालन विभाग के उप संचालक डॉ एमएल परमार ने बताया कि प्रत्येक गोशाला को प्रति पशु घास के लिए प्रतिदिन 20 रुपए दिए जाते हैं। इस लिहाज से जिले की 24 शासकीय गोशालाओं की 1708 पशुओं के खान-पान पर प्रति दिन 34160 से प्रति माह 1024800 और प्रति वर्ष 11468400 रुपए होता है। इसके अलावा पशुओं के उपचार व इनके परिवहन का खर्च अलग है। हालांकि सरकार ने अभी पशुओं के उपचार व परिवहन को भी निजी हाथों में देना तय नहीं किया है, जिससे पशुपालन विभाग के अधिकारी संशय में हैं।
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जिले में 26 अशासकीय गोशालाएं उप संचालक कार्यालय के मुताबिक उज्जैन जिले में 24 शासकीय के साथ 26 अशासकीय गोशालाएं हैं, जिनका संचालन संस्थाओं और निजी हाथों में हैं। इनमें कुल पशुओं की संख्या 6989 बताई गई है, जिनके खान-पान पर शासन के प्रति वर्ष 51019700 रुपए खर्च होते हैं। बता दें कि पशुपालन विभाग प्रत्येक पशु को घास के लिए प्रति दिन 20 रुपए देता है, जिस लिहाज से अशासकीय गोशालाओं में पल रहे 6989 पशुओं के खान-पान का इतना मोटा खर्च होता है। अभी नए मॉडल की नियमावली तैयार नहीं हुई, लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि अब शासन पशुओं के पालन-पोषण की पूरी जिम्मेदारी जनसहयोग निजी व्यक्ति, एनजीओ, अन्य संस्थाओं पर रहेगी।