दूसरे दिन प्रशासन ने महाकाल क्षेत्र में नहीं की कार्रवाई, खाली कराए स्थान पर रेलिंग व कुर्सियां लगाईं, प्रवचन हॉल वाला रास्ता खुला-खुला नजर आया
उज्जैन•Aug 24, 2018 / 01:06 am•
Lalit Saxena
24082018-PTIndUjjn-06
उज्जैन. बड़ा गणेश मार्ग पर बनी अवैध दुकानें हटने से अब महाकालेश्वर मंदिर शिखर के सड़क से ही साफ दर्शन हो रहे हैं। पहले दुकानों के शेड व अतिक्रमण के कारण शिखर ठीक से नहीं दिख पाता था। प्रवचन हॉल के बाहर व सामने अतिक्रमण हटने से ये रोड खुला-खुला नजर आने लगा। फिर से अतिक्रमण ना पसरे इसके लिए नगर निगम ने हॉल की दीवार के बाहर रेलिंग लगवाकर अंदर सीमेंट कुर्सियां लगा दी। ताकि श्रद्धालु यहां कुछ देर विश्राम ले सकें। इधर गुरुवार को अतिक्रमण हटाने की प्रस्तावित कार्रवाई टल गई। अब त्योहारी सीजन के बाद ही प्रशासन महाकाल क्षेत्र में बचे अतिक्रमण हटाएगा।
भारत माता मंदिर के पास पार्किंग स्थल की अवैध गुमटियां भी आवागमन में बाधक है, लेकिन जिला प्रशासन ने इन्हें हटाने को लेकर स्पष्ट निर्णय नहीं लिया। ये दुकानदार भी 5 फीट आगे तक अतिक्रमण कर रखते हैं, जिसके कारण श्रद्धालुओं को आवाजाही में परेशानी होती है। माधव सेवा न्यास द्वारा ये गुमटियां पगड़ी लेकर मासिक किराए पर दी गई हैं। इसके लिए भी किसी तरह की अनुमति जारी नहीं हुई। वहीं इसके आसपास की अन्य गुमटी, ठेल के अतिक्रमण लोगों ने खुद ही हटा लिए।
सभी भवनों के नक्शे व दस्तावेजों की होगी जांच
महाकाल मंदिर के आसपास के भवन, घर, लॉज, दुकानों की भवन अनुज्ञा, स्वामित्व दस्तावेज की जिला प्रशासन जांच कराएगा। जिन भी लोगों ने मनमाने निर्माण कर रखे हैं, उन्हें तोड़ा जाएगा, ताकि मंदिर क्षेत्र पूर्णत: अतिक्रमण मुक्त बन सकें। कलेक्टर मनीष सिंह के निर्देश पर नगर निगम प्रशासन ने इसके लिए टीम गठित करना शुरू कर दी है, जो अगले 15 दिनों में भवन अनुज्ञा व स्वामित्व दस्तावेजों की पड़ताल करेगी। इधर युवक की हत्या के आरोपी अमित त्रिवेदी के मकान के कागजात भी निगम प्रशासन ने तलब किए हैं, इनकी भी वैधानिक जांच की जा रही है।
कुछ दुकानें बंद, बदला सा दिखा नजारा
अतिक्रमण कार्रवाई के चलते गुरुवार को मंदिर क्षेत्र में बदला-बदला सा नजारा दिखा। भस्मआरती गेट के सामने प्रबंध समिति वाली कई दुकानें, मंदिर के सामने नाली से सटकर बनीं दुकानें खुली ही नहीं। कार्रवाई के भय से दुकानदार नदारद रहे। वहीं रोड पर टेबल, कुर्सी लगाकर फूल-प्रसाद बेचने वाले भी यहां से गायब रहे, जिसके कारण मंदिर क्षेत्र में आवाजाही सुगम रही।