सीवरेज प्रोजेक्ट के कारण हजारों पौधों के नष्ट होने की स्थिति बन रही है। पौधों को बचाने के लिए संस्था रूपांतरण व उज्जैन वाले ग्रुप के सदस्य कलेक्टर से मिलने कोठी पहुंचे। सदस्यों ने पहले कलेक्टर के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा और फिर प्रतिनिधि मंडल कलेक्टर शशांक मिश्र से मिला। संस्था रूपांतरण प्रमुख राजीव पाहवा ने कलेक्टर से कहा, विभिन्न सामाजिक संगठनों व नागरिकों द्वारा प्रशासन, वन विभाग, नगर निगम के सहयोग से क्षिप्रा हरीतिमा अभियान अंतर्गत लाखों पौधे लगाए गए हैं, जो अब वृक्षों के रूप में विकसित हो रहे हैं। उन्होंने वर्तमान में क्षेत्र के काफी हरे भरे होने का हवाला देते हुए पुष्टी के लिए निरीक्षण का प्रस्ताव भी रखा और पौधों के संरक्षण की मांग की। कलेक्टर ने संबंधित अधिकारियों मौका मुआयना करवाकर रिपोर्ट मंगवाने का भरोसा दिलाया।
पौधे नष्ट हुए तो कौन जिम्मेदार
क्षिप्रा संरक्षण ओर प्रवाहमान बनाने के लिए वन विभाग ने विभिन्न संगठनों के साथ मिल सिंहस्थ 2016 से नदी किनारे बड़ी संख्या में पौधरोपण करने का कार्य शुरू किया था। विभिन्न संगठनों के साथ ही स्कूली बच्चों तक ने कड़ी मेहनत कर पौधरोपण किया था। यही नहीं समय-समय पर इनकी देखभाल भी की गई। इसी का नतीजा है कि तीन साल में नदी किनारे हजारों पौधे विकसित होकर 6 फीट से अधिक ऊंचे हो चुके हैं। सीवरेज प्रोजेक्ट में नदी किनारे पाइप लाइन बिछाने के चलते इन पौधों के नष्ट होने का संकट खड़ा हो गया है। करीब पांच महीन पहले भैरवगढ़ क्षेत्र में सीवरेज लाइन बिछाने के दौरान कई पौधे नष्ट हुए, जिसका पर्यावरण प्रेमियों ने विरोध किया था। तब निर्णय लिया गया था कि आवश्यक स्थिति में पौधों को शिफ्ट किया जाएगा लेकिन इन्हें नष्ट नहीं होने देंगे। पांच महीने से अधिक समय गुजरने के बाद भी उन क्षेत्रों के पौधों को सुरक्षित विस्थापित नहीं किया गया, जहां सीवरेज लाइन बिछना है। वर्तमान में इंदौर रोड रेती घाट क्षेत्र में सीवरेज लाइन बिछाने का कार्य प्रचलित है। इसी क्षेत्र में हजारों पौधे लगे हुए हैं और सीवर लाइन बिछाने का प्रचलित कार्य इनसे महज ५० मीटर दूर ही है। एेसे में अब यदि तीन वर्ष की मेहनत के बाद विकसित हुए पौधे प्रोजेक्ट के कारण नष्ट होते हैं तो, मुख्य सवाल उठेगा कि इस बड़े नुकसान के लिए कौन जिम्मेदार है।
ज्ञापन में पर्यावरण प्रेमियों ने कहा
– सीवरेज लाइन से बड़ी संख्या में वृक्षों
-पौधों को काटना पड़ रहा है, जो अनुचित व अवैध है।
– सीवरेज लाइन नदी की सुरक्षा के लिए किनारे से 200 मीटर के संरक्षित क्षेत्र में बिछाई जा रही है, जहां निर्माण प्रतिबंधित है।
– इस लाइन के कार्य से से नदी में कटाव होगा, जिसका तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा भी सत्यापन कराया जा सकता है।
– लाइन लीकेजिंग की स्थिति में गंदगी सीधे ही क्षिप्रा नदी में मिलेगी, जिससे पूरी नदी प्रदूषित होगी।