ओमिक्रॉन ज्यादा घातक नहीं है
उन्होंने साफ किया कि ओमिक्रॉन पर रिसर्च एवं जानकारी में सामने आ रहा है कि यह ज्यादा घातक नहीं है, इसलिए परीक्षाएं ऑफलाइन कराने का फैसला किया है, संक्रमण से बचाव की पूरी व्यवस्था रहेगी। साथ ही यह भी तय किया गया है कि परीक्षा में वे ही विद्यार्थी शामिल हो सकेंगे, जिनको कोरोनारोधी टीका की दोनों ही डोज लग चुकी है व उनको वर्तमान में संक्रमण भी नहीं है।
पत्रिका- इस शैक्षणिक सत्र में आरंभ किए गए नए कोर्स से कितनी उम्मीद थी और क्या परिणाम मिला।
कुलपति: हमने इस वर्ष करीब 152 कोर्स शुरू किए हैं। हर कोर्स में कुछ न कुछ बच्चों ने एडमिशन लिया है। कुछ ऐसे कोर्स हैं, जिन्हें हम पापुलर नहीं कर पाए। नए सत्र में उनसे उम्मीद है, लेकिन कुछ कोर्स बहुत अच्छे रहे, जैसे कृषि । इसमें सभी सीटें फुल हो गई। जबकि फारेंसिक साइंस, फूड टेक्नोलॉजी जैसे कोर्स में अच्छे एडमिशन हुए हैं।
पत्रिका- कितने कोर्स ऐसे हैं, जिनमें विद्यार्थियों का प्रवेश कम रहा।
कुलपति- नए पाठ्यक्रम में फॉरेस्ट्री और हॉर्टिकल्चर में अच्छे एडमिशन नहीं मिल सके। बच्चों की ज्यादा रूची एग्रीकल्चर में है। पुलिस साइंस कोर्स भी लोगों को ज्यादा समझ नहीं आया। कोर्स लांच करने में भी हमे देरी हुई लेकिन अगने सत्र में अच्छे एडमिशन की उम्मीद है।
पत्रिका-कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन में भी ऑफलाइन परीक्षा का फैसला क्यों।
कुलपति- परीक्षा बच्चों के कॅरियर से जुड़ा महत्वपूर्ण विषय है। ओमिक्रॉन का उतना इंपेक्ट नहीं है, जितना कोविड-19 का था। ओपन बुक और ऑनलाइन में हमारे पास इतनी व्यवस्था नहीं है, जो ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थी हैं उनका भी ध्यान रखना जरूरी है।
पत्रिका- ऑफलाइन परीक्षा के दौरान संभावित संक्रमण से निपटने की क्या तैयारी है।
कुलपति- हमारी सबसे पहली प्राथमिकता में वैक्सिनेशन है। जिन बच्चों ने दोनों डोज लगवा लिए हैं, परीक्षा हॉल में उन्हें ही प्रवेश दिया जाएगा। इसके अलावा यदि कोई बच्चा पॉजिटिव आता है तो उसकी परीक्षा दोबारा ली जाएगी, इस संबंध में परीक्षा गाइडलाइन तैयार हो गई है।
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पत्रिका- कोरोनाकाल का लगातार हर क्षेत्र पर प्रभाव हो रहा है, उच्च शिक्षा में कैसे हालात है।
कुलपति: इस दौरान नए कोर्सेस में जिस तरह की उम्मीद थी, उस अनुसार परिणाम नहीं आ पाए हैं. प्रवेश की संख्या कुछ नए कोर्स में तो अच्छी रही तो कुछ में अपेक्षा अनुसार प्रवेश नहीं हुए है। कोरोनाकाल ने समूची दुनिया को प्रभावित किया है तो निश्चित ही उसका असर उच्च शिक्षा क्षेत्र पर भी हो रहा है।