मंदिर परिसर में बसाई गुंडीचा नगरी
धार्मिक मान्यता के अनुसार स्नान यात्रा से बीमार भगवान जगन्नाथ स्वस्थ होने के बाद आठ दिन तक अपनी मौसी के यहां गुंडिचा नगरी में विराजते हैं। इस्कॉन मंदिर परिसर में गुंडीचा नगरी बसाई गई है। महोत्सव के दौरान तुलादान करने का भी धार्मिक महत्व है। इसके चलते बड़ी में श्रद्धालु तुलादान कर रहे हैं। इसके लिए बड़ी तुला लगाई गई है। तुला के एक तरफ श्रद्धालु अपने बच्चों को बैठाकर और दूसरी तरफ उनके वजन के बराबर अनाज और फल रखकर दान कर रहे हैं।
तुलादान का खास महत्व
पीआरओ राघव पंडित दास ने बताया कि सनातन धर्म परंपरा में तुलादान का विशेष महत्व है। यह परंपरा नारद मुनि ने शुरू की थी। बाद में भगवान श्रीकृष्ण ने भी तुलादान किया। अब भक्त मंदिर में अपनी मन्न्त पूरी होने पर तुलादान करते हैं।
प्रतिदिन हो रही सांस्कृतिक प्रस्तुतियां
इस्कॉन मंदिर में जगन्नाथ महोत्सव के तहत प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति हो रहीं है। सोमवार को इसमें अर्चना माधव तिवारी की भजन संध्या के बाद परिधि नीमा के निर्देशन में दिव्यनाद नृत्य अकादमी के बच्चों द्वारा नृत्य नाटिका की प्रस्तुति की। राखी रंगवानी एकल नृत्य, कशिश शीतलानी के मार्गदर्शन में ओम अनिका संस्थान की नृत्य नाटिका हुई। इस्कॉन उज्जैन के वसु श्रेष्ठ प्रभु के निर्देशन में लाइव फ्रॉम मथुरा नाटक का मंचन हुआ।
मौसी के घर पहुंचे भगवान जगन्नाथ
मौसी के घर पहुंचे भगवान जगन्नाथ के मनोरंजन के साथ प्रभु की आराधना में जगन्नाथ महोत्सव के तहत गुंडिचा में धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। भरतपुरी स्थित इस्कॉन मंदिर में रविवार को रोहित सांवरे की भजन संध्या के बाद शिखर डांस अकादमी की मोनिका यादव के निर्देशन में नृत्य नाटिकाआओं की प्रस्तुति हुई। अवनी शुक्ला और अन्नया गौर के युगल नृत्य, इस्कॉन यूथ फोरम के द्वारा नाटक का मंचन किया गया। शिखर कला सांस्कृतिक संस्था उज्जैन के कलाकारों ने कृष्ण लीला, कत्थक, दशावतार एवं वृन्दावन में राधे राधे गीत पर अपनी प्रस्तुति दी।