सुप्रीम कोर्ट के जजों को लेकर यह विवादित बोल
सांसद मालवीय ने सुप्रीम कोर्ट के जजों को लेकर यह विवादित बोल भारतीय जनता पार्टी के लोकशक्ति भवन में एससी-एसटी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते कहे। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। सांसद एट्रोसिटी एक्ट व प्रमोशन में आरक्षण को लेकर चर्चा कर रहे थे । इसमें सांसद कह रहे हैं कि अभी सुप्रीम कोर्ट ने एट्रोसिटी एक्ट में अपना फैसला दिया, ऐसा क्यों कर दिया क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में एससी-एसटी का एक भी जज नहीं है। ऐसा इसलिए कि सुप्रीम कोर्ट में कॉलेजियम पद्धति है। इमसें जज ही जज का चुनाव करते हैं, सरकार नहीं। देश में 500 घराने हैं और इसी में से अभी तक जज बन रहे हैं। इनके पोते, साला, जमाई, बहन और बेटियां जज बन रही हैं। यह सभी सामान्य वर्ग से है। वहां आरक्षण नहीं है। अब आरक्षण दिलाने भाजपा आयोग बना रही है। ताकि एससी-एसटी वर्ग के लोग न्याय व्यवस्था में पहुंच सके। अब ‘वोÓ वहां है तो हमारे खिलाफ वर्डिक्ट देते हैं, क्योकि जातिबोध ज्यादा है। अब एट्रोसिटी एक्ट में जोड़ दिया कि एसपी स्तर का अधिकारी तस्दीक न करें तब तक गिरफ्तारी न हो। वे अनुमति देने में तीन महीने लगाते हैं। ऐसे में शोषणकर्ता गांव में मूंछ पर ताव देता है कि कर ले थाने में रिपोर्ट। अब इस कानून के खिलाफ भाजपा ने ही रिव्यु पिटिशन लगाई। आपको मानना होगा भाजपा दलित के साथ है। हालांकि सांसद का यह वीडियो कब का है यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।
आरक्षण तब खत्म होगा, जब उत्तर-दक्षिण में एससी का प्रत्याशी जीतेगा
वीडियो में सांसद ने देश में आरक्षण व्यवस्था को लेकर भी कहा कि किसी का बाप इसे खत्म नहीं कर सकता। घट्टिया में जिस दिन, घट्टिया छोड़ो…जिस दिन उज्जैन उत्तर-दक्षिण विधानसभा से एससी का प्रत्याशी जीतेगा, उस दिन आरक्षण की जरूरत नहीं रहेगी। प्रमोशन में आरक्षण पर कहा कि हाइकोर्ट ने निरस्त किया तो शिवराज जी सुप्रीम कोर्ट में गए।
सामान्य नहीं, कांग्रेसी फैला रहे जहर
सांसद ने एट्रोसिटी एक्ट के विरोध पर कहा कि सामान्य वर्ग के लोग नहीं कर रहे हैं। कांग्रेस के लोग जहर फैला रहे हैं। हमारे कार्यकर्ताओं को समझना होगा।
मैंने जो बोला वह सत्य है। वीडियो में आपने देख लिया होगा। सुप्रीम कोर्ट में एससी-एसटी वर्ग से जज ही नहीं हैं, आप इतिहास उठाकर देख लें। मैं अपनी बात से पलटता भी नहीं हूं।
– चिंतामणि मालवीय, सासंद, उज्जैन-आलोट क्षेत्र