अक्षय तृतीया पर महाकाल और अंगारेश्वर महादेव का शृंगार परशुराम के स्वरूप में किया गया। सान्दीपनि आश्रम में परशुरामजी की आरती कर केसरिया भात का भोग लगाया और ध्वजा बदली गई। ब्राह्मणों ने वाहन रैली में शौर्य प्रदर्शन किया, जिसमें मातृशक्तियां भी शामिल हुई। अबूझ मुहूर्त में कई समाजों के सामूहिक विवाह सम्मेलन हुए।
अक्षय तृतीया पर महाकाल और अंगारेश्वर महादेव का शृंगार परशुराम के स्वरूप में किया गया। सान्दीपनि आश्रम में परशुरामजी की आरती कर केसरिया भात का भोग लगाया और ध्वजा बदली गई। ब्राह्मणों ने वाहन रैली में शौर्य प्रदर्शन किया, जिसमें मातृशक्तियां भी शामिल हुई। अबूझ मुहूर्त में कई समाजों के सामूहिक विवाह सम्मेलन हुए।
अक्षय तृतीया पर महाकाल और अंगारेश्वर महादेव का शृंगार परशुराम के स्वरूप में किया गया। सान्दीपनि आश्रम में परशुरामजी की आरती कर केसरिया भात का भोग लगाया और ध्वजा बदली गई। ब्राह्मणों ने वाहन रैली में शौर्य प्रदर्शन किया, जिसमें मातृशक्तियां भी शामिल हुई। अबूझ मुहूर्त में कई समाजों के सामूहिक विवाह सम्मेलन हुए।
अक्षय तृतीया पर महाकाल और अंगारेश्वर महादेव का शृंगार परशुराम के स्वरूप में किया गया। सान्दीपनि आश्रम में परशुरामजी की आरती कर केसरिया भात का भोग लगाया और ध्वजा बदली गई। ब्राह्मणों ने वाहन रैली में शौर्य प्रदर्शन किया, जिसमें मातृशक्तियां भी शामिल हुई। अबूझ मुहूर्त में कई समाजों के सामूहिक विवाह सम्मेलन हुए।
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