हर गरीब को हो अपना घर, २०२२ तक सबको आवास के सपने के साथ शुरू हुई ये योजना अब फंड के अभाव व निगम के कुप्रबंधन का शिकार हो रही है। हितग्राहियों को समय पर रुपया नहीं मिल पाने से वे अपने आशियाने का निर्माण समय से नहीं कर पा रहे हैं। शहर में २२५ से अधिक एेसे हितग्राही हैं, जिन्हें दूसरी किस्त मिलना है, लेकिन निगम द्वारा खातों में राशि नहीं भेजे जाने से वे परेशानी झेल रहे हैं। निगम अधिकारी व जोन कर्मी भी राशि को लेकर इन्हें कोई संतोषप्रद जवाब नहीं देते। आचार संहिता होने से जनप्रतिनिधि भी इस समस्या पर दखल नहीं दे पा रहे।
मंत्री के सामने उठा था मुद्दा, प्रदेशभर में फंड कम
नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धनसिंह के शहर आगमन दौरान भी पीएम आवास के इस घटक का फंड नहीं आने का मुद्दा उठा था। इस पर उन्होंने कहा था कि सरकार बनने के बाद दो बार उन्होंने दिल्ली में शहरी विकास मंत्रालय में चर्चा की। सभी निकायों में फंड के लिए राज्य सरकार ने डिमांड भेज रखी है। कुछ फंड आया भी लेकिन अब भी काफी लोग अनुदान की कतार में है।
एेसी समस्याओं से जूझ रहे गरीब – पहली किस्त एक लाख मिली। इससे प्लींथ लेवल निर्माण व कॉलम आदि भर लिए। आगे का निर्माण कैसे करें।
– कहीं छत की शंटिंग लग गई, लेकिन मैटेरियल लाने का रुपया नहीं होने से काम बंद है।
– कुछ लोग खुले में टीन या खप्पर डालकर दिन गुजार रहे हैं। – कहीं छत आधी ही भराई लेकिन आगे का काम शुरू नहीं हो पाया। – गर्मी शुरू होने वाली है, निर्माण समय से पूरा नहीं होने पर हितग्राही परिवारों को दिक्कत होगी।
तीन किस्तों में मिलता है अनुदान
शहर की अधिसूचित बस्तियों में रहने वाले पात्र हितग्राहियों को तीन किस्तों में २.५० लाख का अनुदान मिलता है। पहली-दूसरी १ लाख व आखिरी किस्त ५० हजार रुपए की दी जाती है। कार्य प्रगति के मान से निगम किस्त रिलीज करता है। इसके अतिरिक्त जो राशि लगती है वह स्वयं हितग्राही को लगना होती है। योजना में उन्हीं को अनुदान मिलता है जिनके खुद के भूखंड है या उन्हें सरकारी पट्टे मिले हुए हैं। किस्त के अभाव में हितग्राही अपने मकान का काम पूर्ण नहीं करा पा रहे।
इनका कहना –
किस्त देने की प्रक्रिया फंड उपलब्धता के अनुसार जारी रहती है। जो हितग्राही शेष रहे हैं, उन्हें भी जल्द राशि भेजी जाएगी। फिलहाल कितना फंड आया है यह तो ध्यान नहीं। आगे के लिए भी डिमांड भेजी हुई है।
प्रतिभा पाल, निगमायुक्त