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विक्रम विश्वविद्यालय में अब पुलिस सक्रिय,फेलोशिप की मांगी जानकारी

locationउज्जैनPublished: Nov 20, 2019 09:55:16 pm

Submitted by:

Shailesh Vyas

शाोधार्थियों से फेलोशिप भुगतान के रुपए मांगने के मामले में अब पुलिस सक्रिय हुई हैं। पुलिस ने जांच से पहले फेलोशिप से जुडी जानकारी विवि प्रशासन से मांगी हैं।

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उज्जैन.शोधार्थियों से फेलोशिप भुगतान के रुपए मांगने का मामला सामने आने के बाद विक्रम विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुलिस को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा था। इसी क्रम में माधवनगर पुलिस ने विश्वविद्यालय प्रशासन से विभिन्न बिन्दू की जानकारी मांगी है। उधर विवि ने अपने स्तर जांच के लिए समिति का गठन भी किया हैं। माधव नगर थाना पुलिस द्वारा विवि को लिखे गए पत्र में बताया है कि शिकायती आवेदन प्राप्त हुआ हैं। इस संबंध में आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराएं। पुलिस ने विवि सहायक कुलसचिव प्रशासन को पत्र लिखा है इसमें कई जानकारी देने को कहा हैं।
यह जानकारी मांगी
-विश्वविद्यालय में विभिन्न शाखाओं में अध्ययनरत राजीव गांधी राष्ट्रीय फेलोशिप (आरजीएनएफ) और जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) एवं अन्य फेलोशिप से संबंधित शोधार्थियों की समस्त जानकारी प्रदान करें।
– फेलोशिप प्राप्त करने की क्या प्रक्रिया है?
– यूजीसी पोर्टल पर फेलोशिप के लिए अनुमोदन कौन करता है, इसकी क्या प्रक्रिया है?
– क्या आपके वहां सद्दाम खान मंसूरी विवि का कर्मचारी है, यदि है तो किस पद पर कार्यरत है?
– मेकर और चेकर के क्या कार्य हैं और फेलोशिप भुगतान में इनकी क्या भूमिका है?
– विकास विभाग में जो कर्मचारी, अधिकारी पदस्थ रहें, उनकी समस्त जानकारी देने की कृपा करें।
-यूजीसी पोर्टल पर फेलोशिप ब्लॉक करने की प्रक्रिया क्या है, और इसे ब्लॉक करने का किसे अधिकार हैं। किन किन कारणों से फैलोशिप पोर्टल ब्लॉक की जाती हैं?
– यूजीसी पोर्टल पर ओटीपी कौन प्रदान करता हैं?
इन सभी बिंदुओं के आधार पर सत्यापित प्रतियों के साथ जानकारी पुलिस को उपलब्ध कराएं।
शंका के दायरे में विवि की व्यवस्था
शोधार्थियों के अनुसार विभिन्न विषयों में शोध करने वाले शोधार्थी आवश्यक दस्तावेजों का सत्यापन नोडल संस्थान के चेकर-मेकर द्वारा करने के बाद यूजीसी को यूजीसी पोर्टल प्रेषित किया जाता है। यूजीसी की समिति से स्वीकृति के बाद शोधार्थी को ओटीपी दिया जाता है। इसके आधार पर शोधार्थी फेलोशिप का भुगतान किया जाता है। यूजीसी फेलोशिप पोर्टल के यूजीसी द्वारा नोडल संस्थान के प्राधिकृत अधिकारी को नाम से पासवर्ड दिया जाता है। फेलोशिप के लिए चेकर-मेकर का कार्य विवि के विष्णु सक्सेना और अनाधिकृत तौर पर विवि में कार्य करने वाले सद्दाम खान मंसूरी कर रहे थे। यूजीसी की ओर से प्राधिकृत अधिकारी को जारी पासवर्ड इनके पास कैसे आ गया? शोधार्थियों के मुताबिक फेलोशिप कार्य के कथित चेकर सद्दाम खान मंसूरी द्वारा यूजीसी पोर्टल ब्लाक और विवि की वेबसाइट को हैक करने की धमकी दी जाती थी। गौरतलब है कि बीते कुछ माह में दो-तीन बार विक्रम विश्वविद्यालय की वेबसाइट को हैक किया जा चुका है। विवि में विष्णु सक्सेना सिस्टम इंजीनियर के पद पर है और विवि कम्प्यूटर सेल के प्रभारी थे और विक्रम विश्वविद्यालय की विभिन्न अध्ययनशालाओं के राजीव गांधी राष्ट्रीय फेलोशिप (आरजीएनएफ) और जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) के शोधार्थी की फेलोशिप का काम भी इनके जिम्मे था। मंसूरी कम्प्यूटर का जानकार है और सक्सेना ने सहयोगी के तौर पर विवि में इससे काम लेते हैं। उस वक्त सक्सेना के कहने पर ही मंसूरी वेबसाइट को हैक से फ्री किया था।

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