शहर में प्रदूषण की स्थिति
दिनांक पीएम 2.5 पीएम 10 (दोनों आंकड़े माइक्रोन में) 11 अप्रेल 310 172
12 अप्रेल 165 191
13 अप्रेल 338 दर्ज नहीं
14 अप्रेल 236 225
15 अप्रेल 348 257
16 अप्रेल 311 205
17 अप्रेल 345 244
18 अप्रेल 306 187
19 अप्रेल 297 180
20 अप्रेल 354 227
21 अप्रेल 151 175
पीएम 2.5 का मानक स्तर 60 माइक्रोन और पीएम 10 का मानक 100 माइक्रोन है
घरों तक पहुंची काली राख नरवाई जलाने से खेतों से कालिख रूपी राख उड़कर रहवासी क्षेत्रों में पहुंच रही है। कचरे के साथ प्रदूषण की मात्रा बढ़ रही है। ग्रहिणियों का कहना है कि हवा में उड़कर आने वाली राख से घर की दीवारें काली हो गई हैं, वहीं दिन में तीन-चार बार झाडू लगाने के बाद भी स्थिति जस की तस रहती है।
29 मार्च को जारी हुआ था आदेश गेहूं की फसल कटाई के बाद नरवाई जलाने पर प्रतिबंध के आदेश कलेक्टर ने जारी कर किसानों को हिदायत दी थी कि यह न केवल कृषि भूमि के लिए हानिकारक है बल्कि इससे वायु भी प्रदूषित होती है। पर्यावरण क्षतिपूर्ति के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार राजस्व अधिकारियों के साथ ही कृषि, उद्यानिकी व पुलिस अधिकारियों को भी है। यह आदेश 29 मार्च को जारी किया था, लेकिन आज तक न तो कोई केस दर्ज किया गया और न कार्रवाई हुई।
दंड का भी प्रावधान प्रतिबंधात्मक आदेश में कलेक्टर ने दंड का भी उल्लेख किया है, जिसमें 2 एकड़ से कम भूमि पर 2500 रुपए, 2 से अधिक, लेकिन 5 एकड़ से कम भूमि वाले किसानों पर 5 हजार रुपए, 5 एकड़ से अधिक भूमि वाले किसानों से 15 हजार रुपए पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि वसूल की जाएगी।
नरवाई जलाने से ये भी नुकसानखेतों में फसल कटाई के बाद बचे अवशेष जलाने से - 1. भूमि कठोर हो जाती है, जिससे जमीन की जलधारण क्षमता कमजोर हो जाती है। इससे फसलें सूख जाती हैं।
2. जमीन में उपलब्ध जैव विविधता समाप्त हो जाती है। 3. पर्यावरण प्रदूषित होने से वातावरण में तापमान बढ़ता है। इससे धरती गर्म होती है। 4. भूमि में उपस्थित सूक्ष्म जीव जलकर नष्ट हो जाते हैं, जिससे जैविक खाद का निर्माण बंद हो जाता है।
5. नरवाई जलाने से उत्पन्न कार्बन के कारण नाइट्रोजन तथा फास्फोरस का अनुपात कम हो जाता है। 6. कृषि भूमि में बैठे केंचुए नष्ट हो जाते हैं, जिससे कृषि भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है।