महाकाल मंदिर भी अनिश्चितता
जोशी ने कहा प्रसाद का शुल्क 240 से 300 रुपए किए जाने का कड़ा विरोध करते हैं। जबसे कांग्रेस की सरकार बनी है, समूचे प्रदेश के साथ अब विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर भी अनिश्चितता की चपेट में है। विधायक पारस जैन व डॉ. मोहन यादव ने कहा एक बार फिर स्थानीय जनप्रतिनिधियों की अवहेलना करते हुए व्यावसायिक निर्णय जनता पर थोपा जा रहा है।
मुनाफे का केंद्र बना महाकाल मंदिर
विधायक जैन ने कहा भांग शृंगार 501 एवं ध्वज चढ़ाने का शुल्क भी 251 से बढ़ाकर 1100 कर दिया है। पगड़ी स्पर्श करने का शुल्क 2100 और चढ़ाने का 5001 रुपए करना यह बताता है कि अब बाबा का दरबार भी धार्मिक आस्था का नहीं, बल्कि मुनाफे का केंद्र बन गया है। नगर अध्यक्ष जोशी ने प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन पर मनमानी का आरोप लगाते हुए कहा तुगलकी निर्णय व्यापार की श्रेणी में आते हैं। जोशी ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि जल्द ही समिति द्वारा इन कीमतों को वापस नहीं लिया गया, तो लाखों भक्त उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।
इन्होंने लिखा सीएम और धर्मस्व मंत्री को पत्र
शहर कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष रवि राय ने मुख्यमंत्री कमलनाथ और धर्मस्व मंत्री पीसी शर्मा को पत्र लिखकर अवगत कराया कि महाकालेश्वर मंदिर समिति द्वारा 180 रुपए किलो मिलने वाले लड्डू 240 रु. किलो बेचा जा रहा है। यदि प्रसाद की आय को देखें तो मंदिर समिति प्रतिवर्ष लाखों की कमाई कर रही है। फिर 240 रु. किलो के प्रसाद में 60 रु. बढ़़ोत्री कर 300 रुपए करना गलत है। राय ने पत्र भेजते हुए कहा कि जिलाधीश एवं प्रबंध समिति का यह कदम पार्टी एवं सरकार की छवि को धूमिल कर रहा है। इस निर्णय पर किसी भी जनप्रतिनिधि का समर्थन नहीं हो सकता। जिला कलेक्टर इस पर पुन:विचार करें।
वजन नहीं, संख्या के हिसाब से मिलेंगे लड्डू
प्रबंध समिति द्वारा लिए गए निर्णय अनुसार अब लड्डू प्रसाद वजन के नहीं, बल्कि संख्या के हिसाब से मिलेंगे। प्रशासक एसएस रावत ने कहा 2014 से दान राशि में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। नई व्यवस्था अंतर्गत प्रसाद पैकेट को मंदिर की गरिमा के अनुरूप नि:शुल्क शोभनीय थैली में रखकर दिया जाएगा। साथ ही संख्या के आधार पर लड्डू प्रसाद का विक्रय किया जाएगा, जिसमें 2 लड्डू 4०, 4 लड्डू 80, 8 लड्डू 150 व 16 लड्डू 300 रुपए के मान से दिए जाएंगे।