उज्जैन

होटल अवंतिका को निजी हाथों में गोद देने की तैयारी

पर्यटन निगम : संपत्ति को 30 साल की लीज पर देने की योजना, प्रदेश की 18 संपत्तियों को देने की तैयारी

उज्जैनDec 06, 2019 / 01:08 am

rishi jaiswal

पर्यटन निगम : संपत्ति को 30 साल की लीज पर देने की योजना, प्रदेश की 18 संपत्तियों को देने की तैयारी

उज्जैन. पर्यटन निगम प्रदेश की 18 संपत्तियों को निजी हाथों में सौंपने जा रहा है। निगम ने ऐसी संपत्तियों की सूची तैयार कर ली है। इसमें पर्यटन निगम की उज्जैन स्थित तीन होटल में से एक अवंतिका है। इन संपत्तियों को निगम निजी हाथों में सौंपने के लिए टेंडर जारी करेगा। प्रॉपर्टी 30 साल की लीज पर दी जाएगी। संपत्तियों को निजी हाथों में सौंपने के लिए सरकार का तर्क है कि शासन का मकसद राजस्व नहीं, पर्यटक बढ़ाना है। वहीं जानकारों का कहना है कि इनकी ऑपरेटिंग कॉस्ट अधिक होने से निगम को फायदा नहीं हो रहा है।
पर्यटन निगम की उज्जैन में तीन होटल शिप्रा, उज्जयिनी और अवंतिका है। इसमें से होटल अवंतिका को लीज पर दिया जा रहा है। पर्यटन निगम की संपत्तियों को निजी हाथों में देने के लिए शिवराज सरकार ने 2016 में पर्यटन नीति में प्रावधान किया था। इसमें शर्त है कि होटल लेने वाली कंपनी इसका संचालन करेगी और सालाना लीज का पैसा देगी। वह किसी भी शर्त या एग्रीमेंट का उल्लंघन करेगी तो उसे होटल पर्यटन विकास निगम को देना होगा। इस पर्यटन नीति के तहत कुछ संपत्तियों को पहले भी लीज पर दिया था, लेकिन संपत्ति लेने वाला घाटे या किसी अन्य वजह से उसे छोड़कर चला गया था। एक बार फिर से सरकार ने पर्यटन निगम की संपत्तियों को निजी हाथों में देने का निर्णय कर लिया है। इस बार शर्तों में कुछ बदलाव किए गए हैं।
निगम के प्रतीक चिह्न का उपयोग नहीं
पर्यटन निगम अपनी संपत्तियों को निजी हाथों में सौंपने के लिए टेंडर जारी करेगा। इसके बाद उन संपत्तियों को लीज पर देगा। इसके साथ ही लीज की शर्तों में भी बदलाव किया है। अब तक निगम तीन से पांच साल तक के लिए कुछ प्रॉपर्टी को लीज पर देता था, लेकिन इसमें भी संशोधन किया है। अब प्रॉपर्टी 30 साल की लीज पर दी जाएगी। इस प्रॉपर्टी की लीज जो लेगा वो तीन साल रिसॉर्ट, होटल या रेस्टोरेंट चलाकर किसी और को किराए से भी दे सकेगा। निगम के प्रतीक चिह्न का उपयोग नहीं कर सकेगा। निगम की लीज शर्तों के मुताबिक लीज पर लेकर निगम या मध्य प्रदेश शासन का उपयोग नहीं किया जा सकेगा। लीज होल्डर को प्रॉपर्टी का नाम भी अनिवार्य तौर पर बदलना होगा। यदि लीज होल्डर प्रॉपर्टी पर किसी प्रकार का निर्माण कार्य करेगा तो उसके लिए उसे अनुमति लेनी होगी। निवेशक इन होटलों पर न तो बैंक से लोन ले सकता है और न ही इन्हें मॉर्डगेज किया जा सकेगा।
जानकारों के अलग-अलग तर्क
पर्यटन निगम प्रदेश की 18 संपत्तियों को निजी हाथों में देने के मामले में शासन और जानकारों के अलग-अलग तर्क हैं।
शासन का कहना है कि होटल इंडस्ट्री में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए यह निर्णय लिया गया है। इसके लिए राजस्व नहीं पर्यटक बढ़ाना मकसद है। जानकारों का कहना है कि जिन इकाइयों का प्रदर्शन ठीक नहीं था, उन्हें निजी हाथों में सौंपे जाने की तैयारी की जा रही है। संबंधित यूनिट के संचालन पर अधिक व्यय, कर्मचारियों की तनख्वाह पर अधिक खर्च होने और होटल से घाटा होने के कारण लीज पर दिया जा रहा।
इन संपत्तियों को दिया जाएगा लीज पर
बैढऩ जिला सिंगरौली, पीली कोठी जिला उमरिया, होटल अवंतिका उज्जैन, मार्ग सुविधा केंद्र देवास, कर्माक्षिरी जिला सिवनी, टूरिस्ट मोटल मंडला, फेन जिला मंडला, सैर सपाटा भोपाल, रेनबो ट्रीट शाहपुरा भोपाल, रेलकोच रेस्टोरेंट इंदौर, पगमार्क कैफे मुकुंदपुर, हिलटॉप बंग्लो पचमढ़ी, कन्वेंशन सेंटर खजुराहो, कन्वेंशन सेंटर सांची, नंदनवन कॉटेज पचमढ़ी, नीलांबर कॉटेज पचमढ़ी, टूरिस्ट फैसिलिटेशन सेंटर धमराजेश्वर मंदसौर और माणीखेड़ा शिवपुरी।
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