सुप्रीम कोर्ट ने गठित की थी विशेषज्ञ समिति
भगवान महाकाल के शिवलिंग का क्षरण नहीं हो इसके लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति ने महाकाल के लिए महाकाल के अभिषेक के लिए जल की मात्रा तय करने के साथ आरओ वाटर का उपयोग करने और कोटितीर्थ के जल को प्रतिबंधित करने की अनुशंसा की रखी है। इसके बाद महाकाल मंदिर प्रबंध समिति ने नियम बनाकर भगवान का अभिषेक आरओ वाटर से करना अनिवार्य कर दिया था। यह नियम कुछ समय तक चला,लेकिन अब मंदिर के कतिपय पुजारी-पुरोहित और उनके प्रतिनिधि इस नियम को तोड़ रहे हैं। इतना ही नहीं वे अपने यजमानों को भी अभिषेक के लिए बड़े पात्रों में कोटितीर्थ का जल दे रहें हैं।
मंदिर समिति ने लगाया आरओ प्लांट
भगवान महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह स्थित शिवलिंग क्षरण को लेकर उच्चतम न्यायालय दायर याचिका पर न्यायालय द्वारा विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। समिति में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, पुरात्व विभाग के विशेषज्ञ शामिल किए गए थे। समिति सदस्यों ने शिवलिंग का परीक्षण किया था। शिवलिंग पर स्थित पूजन सामग्री और कोटितीर्थ कुंड के जल का सेंपल भी लिया था। रिपोर्ट के बाद समिति ने कुंड के जल से भगवान का जलाभिषेक नही करते और आरओ वाटर से अभिषेक की अनुशंसा की थी। मंदिर प्रबंध समिति ने कोटितीर्थ कुंड के जल को भगवान महाकाल के जलाभिषेक योग्य बनाने के लिए आरओ प्लांट लगवाया है। पाइप लाइन के जरिए आरओ जल को गर्भगृह के गलियारे तक पहुंचाया भी जा रहा है। इसके बाद मंदिर से जुड़े कुछ लोग तथा श्रद्घालु सीधे कोटितीर्थ कुंड से जल भरकर भगवान महाकाल को अर्पित कर रहे हैं। बाल्टी से कोटितीर्थ का जल भर कर भगवान को चढ़ा रहे हैं।
अधिकारी-सेवक लापरवाह
मंदिर प्रबंध समिति के अधिकारी, गर्भगृह निरीक्षक, सेवक नियम का पालन नहीं करा पा रहें है। गर्भगृह का आरओ नल रहता बंद है। पुजारी-पुरोहित इनके प्रतिनिधि और यजमान और कुंड का पानी लेकर पहुंच जाते है। इस दौरान कोई देखने वाला नही होता है। प्रतिदिन ही कुंड का जल चढ़ाया जाता है।
मंदिर समिति कार्रवाई करेंगी
जानकारी में आया है कि मंदिर के कुछ पुजारी-पुरोहित और इनके सहयोगी जलाअभिषेक के लिए आरओ वाटर के स्थान पर कोटितीर्थ के पानी का उपयोग कर रहे है। एेसा करने से रोका जाएगा। मंदिर समिति के सीसीटीवी फुटेज देखकर संबंधितों को नोटिस देकर कार्रवाई की जाएगी।
– चंद्रशेखर जोशी, सहायक प्रशासक, महाकाल मंदिर प्रबंध समिति