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प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियों का बंधेगा बोरिया बिस्तर, मंडी की सुरक्षा करेगी सहकारी समितियां

locationउज्जैनPublished: May 22, 2022 12:14:33 pm

Submitted by:

atul porwal

– मंडी बोर्ड के एमडी ने दिए निर्देश, निजी सुरक्षा एजेंसियों को नहीं दें काम

Private security agencies will tie the sack bed, cooperatives will pro

Private security agencies will tie the sack bed, cooperatives will pro

उज्जैन.
सर्विस चार्ज की मोटी रकम लेने वाली निजी सुरक्षा एजेंसियां मंडी में पुख्ता सुरक्षा नहीं दे पा रही है। इसके अलावा दो नंबर में धांधली करने की शिकायतों पर हुई जांच के बाद निजी सुरक्षा एजेंसियों को अब मंडी बोर्ड ने काम देने से इंकार कर दिया है। शुक्रवार २० मई को हुई विडियो कांफ्रेंसिंग में मंडी बोर्ड के एमडी विकास नरवाल ने प्रदेश भर की मंडी समितियों को स्पष्ट कर दिया कि आगे से वे मंडी की सुरक्षा का ठेका निजी कंपनियों की बजाय सहकारी समितियों को सौंपें। इस निर्देश से अब निजी सुरक्षा कंपनियों के बोरे-बिस्तर बंध जाएंगे। बता दें कि अब तक उज्जैन कृषि उपज मंडी की सुरक्षा इंदौर की थर्ड आई सिक्योरिटी कंपनी के पास थी। कार्यप्रणाली पर सवाल के अलावा पिछले दिनों मंडी प्रांगण में किसान पर गोली कांड ने इस मामले को और हवा दे दी, जिससे एमडी को आनन-फानन में यह निर्णय लेना पड़ा।
गौरतलब है कि पूरे प्रदेश की मंडियों की सुरक्षा का ठेका चंद निजी सिक्योरिटी एजेंसियों के पास है। जानकारी के मुताबिक इंदौर की थर्डआई सुरक्षा एजेंसी के अलावा भोपाल की कृष्णा राज सिक्योरिटी एजेंसी है। केवल दो ही निजी सुरक्षा कंपनियों को प्रदेश भर की मंडियों के सुरक्षा ठेके पर भी राजनीतिक दबाव वाले सवाल खड़े हो रहे हैं। मंडी सूत्र यह भी बता रहे हैं कि दोनों सुरक्षा एजेंसियां सत्तारूढ़ दल के नेताओं से जुड़ी हुई है या इनमें उनकी साझेदारी है। बताया जा रहा है कि उज्जैन मंडी की सुरक्षा में करीब 64 गार्ड लगे हुए हैं। इन्हें कलेक्टर दर पर भुगतान किया जाता है। प्रत्येक गार्ड को लगभग 10 हजार रुपए महीना भुगतान की बात सामने आई है। इस लिहाज से मंडी की सुरक्षा में लगे ६४ गार्ड पर प्रति माह मंडी समिति करीब 640000 रुपए खर्च करती है।
ऐसे भी होती है धांधली
मंडी सूत्र बता रहे हैं कि निजी सुरक्षा एजेंसियां रेस्ट रीलीवर के रुप में रखे जाने वाले गार्ड के नाम पर भी धांधली करती हैं। मंडी में तैनात गार्ड को रेस्ट नहीं दी जाती है, जबकि उनके आराम के नाम पर दिए गए फर्जी नाम पर भी रकम हड़पी जा रही है। इसके अलावा सुरक्षा कंपनी की ओर से दी जाने वाली पीएफ की राशि में भी गड़बड़ी कर एजेंसियां मोटी कमाई कर रही है। इस मामले में मंडी के अधिकारियों की मिली भगत भी बताई जा रही है, जो निजी सुरक्षा एजेंसियों से मिले होते हैं। सिक्योरिटी एजेंसी द्वारा तैनात गार्ड की संख्या में कमी, कुछ गार्ड अधिकारियों की सिफारिश वाले और अन्य प्रकार से हड़पी जाने वाली रकम में भी मंडी अफसरों की साझेदारी की बातें भी चर्चा का विषय है।
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