इस आदत को डालने से आपके जीवन में आ जाएगी समृद्धि
उज्जैनPublished: Nov 12, 2019 05:55:34 pm
यंग रीडर्स-डे – किताबों से प्रेम देता है उम्रभर का ज्ञान, सूचना और आनंद, किसी भी पेशे में काम आती है पढ़ी हुई बात
किताबों से प्रेम देता है उम्रभर का ज्ञान, सूचना और आनंद, किसी भी पेशे में काम आती है पढ़ी हुई बात
उज्जैन. कहते हैं पढ़ा हुआ कभी व्यर्थ नहीं जाता, पेशा कोई सा भी हो, पुराना पढ़ा एक दिन काम जरूर आता है। यही कारण है कि जिसे पढऩे की आदत जितनी कम उम्र में लगी, उसे ज्ञान, सूचना और आनंद उतना ही अधिक मिला है। किताबों से दोस्ती सिर्फ कॅरियर बनाने में ही फायदेमंद नहीं है, बल्कि व्यक्तित्व विकास, सामाजिक प्रतिष्ठा, निर्णय क्षमता आदि भी बढ़ाती है।
नवंबर के दूसरे मंगलवार को यंग रीडर्स-डे के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य, किताब पढऩे के फायदे और इसके आनंद को दर्शाना है। दरअसल किताबों से प्रेम उम्रभर का ज्ञान, आनंद, सूचना व मनोरंजन देता है। इसलिए पाठ्यक्रम की किताबों के साथ ही अन्य विषय की पुस्तक, समाचार पत्र-पत्रिका आदि पढऩे से व्यक्ति को कई प्रकार की जानकारी मिलती है जो उसे उसके क्षेत्र में काम आती है। पत्रिका ने यंग रीडर्स-डे पर कुछ एेसे ही युवा के साथ वरिष्ठ पाठकों से चर्चाकर जाना किताबों से दोस्ती का उनका अनुभव।
अखबार पढऩे से लिखने की आदत, बने लेखक
विक्रम विश्वविद्यालय से उच्चशिक्षा प्राप्त करने वाले तराना निवासी २४ वर्षीय सौरभ जैन अखबारों में लेख-लेखन क्षेत्र के उभरते नाम हैं। फिल्म, राजनीति आदि क्षेत्रों पर समसायिक व्यंग्यात्मक कटाक्ष हो या फिर सामाजिक रिश्तों को शब्दों में परिभाषित करना, उनकी कलम बखूबी यह कार्य करती है। लेकिन लिखने की यह क्षमता पढऩे की आदत से ही विकसित हुई है। सौरभ बताते हैं, स्कूल में भी उन्हें कोर्स की पढ़ाई के सथ अन्य पुस्तकें पढऩे का शौक था। वाद-विवाद, भाषण आदि में भाग लेने से पहले वे उक्त विषयों का भी अध्ययन करते थे। समाचार पत्र-पत्रिका पढऩे की आदत के साथ उन्होंने पत्र संपादक के नाम लिखना शुरू किया। सौरभ अभी इंदौर में राजनीतिक विज्ञान में पीएचडी कर रहे हैं। सौरभ कहते हैं अब पढ़ाई के लिए किताबों के अलावा मोबाइल एप, ऑडियो आदि कई नई सुविधा उपलब्ध हैं। पढ़ा हुआ कभी व्यर्थ नहीं जाता। यदि इसकी आदत हो जाए तो फिर इसका आनंद बढ़ता ही जाता है।
स्मृति पटल पर स्थायी हो होती है किताब की बात
विद्यानगर निवासी पुष्कर बाहेती प्रकाशक हैं और अब तक १२५ से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन कर चुके हैं। प्रकाशन क्षेत्र में कॅरियर बनाने की दिशा, उन्हें युवा अस्वस्था में पढऩे की रुचि और आदत से ही मिली थी। बीकॉम, एलएलबी, एमए मॉस कम्युनिकेशन, एमए ज्योतिष की डिग्री प्राप्त कर चुके पुष्कर बताते हैं पाठ्यक्रम के अलावा भी उन्हें शुरुआत से ही धार्मिक-साहित्यिक पुस्तकें पढऩे की रुचि थी। उनके पास ३०० से अधिक पुस्तकों का निजी संग्रह है। वे कहते हैं, किताब में पढ़ी बातें, स्मृति पटल पर स्थायी रूप से अंकित होती हैं। उनके अनुसार किताबों से व्यक्ति कभी बोर नहीं होता। जो उसके स्वाद को जानता है, वह उसमें रच-बस जाता है। किताबों की अपनी विशेषता, अपना सार है। यही कारण है कि वर्तमान युक में भी पठन-पाठन के क्षेत्र में बदलाव आए लेकिन कमी नहीं आई है। उनका यह भी मानना है कि किताब एेसी दोस्त होती है जिसका साथ हमेशा बना रहता है।
स्मृति पटल पर स्थायी हो होती है किताब की बात
विद्यानगर निवासी पुष्कर बाहेती प्रकाशक हैं और अब तक १२५ से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन कर चुके हैं। प्रकाशन क्षेत्र में कॅरियर बनाने की दिशा, उन्हें युवा अस्वस्था में पढऩे की रुचि और आदत से ही मिली थी। बीकॉम, एलएलबी, एमए मॉस कम्युनिकेशन, एमए ज्योतिष की डिग्री प्राप्त कर चुके पुष्कर बताते हैं पाठ्यक्रम के अलावा भी उन्हें शुरुआत से ही धार्मिक-साहित्यिक पुस्तकें पढऩे की रुचि थी। उनके पास ३०० से अधिक पुस्तकों का निजी संग्रह है। वे कहते हैं, किताब में पढ़ी बातें, स्मृति पटल पर स्थायी रूप से अंकित होती हैं। उनके अनुसार किताबों से व्यक्ति कभी बोर नहीं होता। जो उसके स्वाद को जानता है, वह उसमें रच-बस जाता है। किताबों की अपनी विशेषता, अपना सार है। यही कारण है कि वर्तमान युक में भी पठन-पाठन के क्षेत्र में बदलाव आए लेकिन कमी नहीं आई है। उनका यह भी मानना है कि किताब एेसी दोस्त होती है जिसका साथ हमेशा बना रहता है।
एेसे मना सकते हैं आज का दिन
कुछ समय लाइब्रेरी में किताबों के साथ बीता सकते हैं। रुचि अनुसार नई पुस्तक खरीदे और पढऩा शुरू करें। अपने मित्र-परिजन को उनकी रचि अनुरूप पुस्तक भेंट करें। अभिभावक हैं तो बच्चों को किताबें, समाचार पत्र-पत्रिकाएं पढऩे के लिए प्रेरित करें। उनके साथ पढ़े, उन्हें लाइब्रेरी ले जाएं।