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एक ऐसा अस्पताल, जहां बिना दवाइयों के हो जाता है इलाज! यहां तो स्टाफ की भी नहीं पड़ती जरूरत

locationसीकरPublished: Feb 21, 2017 11:07:00 am

Submitted by:

dinesh rathore

अस्पताल का प्रतिदिन का आउटडोर जिला अस्पताल के बराबर है। सोमवार को 1548 मरीजों की संख्या रही। अस्पताल के हालात ये हैं कि रात को दवा केन्द्र खुलने की बात तो अलग दिन में खुलने वाले चार कांउटरों पर स्टाफ के अभाव में मरीजों को परेशानी का सामना उठाना पड़ती है।

कांग्रेस सरकार ने अक्टूबर 2011 से अस्पतालों में निशुल्क दवा योजना के अंतर्गत जिले में दूसरे नंबर पर आने वाले कपिल अस्पताल में आज तक रात के समय में दवा केन्द्र नहीं खुला। अस्पताल का प्रतिदिन का आउटडोर जिला अस्पताल के बराबर है। सोमवार को 1548 मरीजों की संख्या रही। अस्पताल के हालात ये हैं कि रात को दवा केन्द्र खुलने की बात तो अलग दिन में खुलने वाले चार कांउटरों पर स्टाफ के अभाव में मरीजों को परेशानी का सामना उठाना पड़ती है। कई बार तो भीड़ ज्यादा होने के कारण मरीज आपस में ही धक्का-मुक्की कर लेते हैं। स्टोर व चार नंबर पर एक ही कर्मचारी पिछले कई दिनों से डीडीसी नंबर चार के हालत सबसे ज्यादा खराब हैं। वहां पर कंप्यूटर ऑपरेटर पिछले कई दिनों से नहीं है। हेल्पर का पिछले दिनों दुर्घटना होने से वह भी लंबी छुट्टियों पर चलने से काउंटर पर एक कर्मचारी के अलावा मरीजों को बड़ा परेशान होना पड़ता है। ये हालत स्टोर के है वहां पर ना तो हेल्पर है ना ही कंप्यूटर ऑपरेटर।
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नहीं मिल रहा मानदेय 

पिछले दिनों निशुल्क दवा योजना के अंतर्गत काम करने वाले फार्मासिस्टों व हेल्परों को राज्य सरकार के आदेश के अनुसार वर्तमान में फार्मासिस्ट को 8 हजार व हेल्परों को 6 हजार मानदेय मिलने चाहिए। फार्मासिस्ट 5500 व हेल्पर को 4600 रुपए भुगतान किया जा रहा है।
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अस्पताल में मरीजों की भीड़ ज्यादा है तो पीएमओ अपने स्थर पर एमआरएस के तहथ कर्मचारी लेकर कांउटर बढ़ा सकते हंै। नई दर से वेतन मिलना अकांउट्स विभाग का विषय है। 
एसएस अग्रवाल, सीएमएचओ

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