उज्जैन

अजीब लेकिन हकीकत: यहां की सड़कों पर चलती थी नांव

बारिश के दौरान निचली बस्तियां में आती है जलभराव की समस्या, निकासी व्यवस्था सुधरने से रहवासियों को इस बार परेशान नहीं होने की उम्मीद, बरसात में घर छोड़कर नहीं जाना पड़ेगा

उज्जैनJul 15, 2019 / 11:09 pm

aashish saxena

rain,Ujjain,raining,ujjain news,madhyapradesh,Colony,

उज्जैन. बारिश सुखद संदेश लेकर आती है लेकिन शहर के कुछ इलाकों के लिए इसकी अधिकता परेशानी बरसाने वाली होती है। यह वे निचले क्षेत्र हैं, जहां अतिवृष्टि के कारण सैकड़ों लोगों की गृहस्थी ही उथल-पुथल हो जाती है। अक्सर बारिश के मौसम में पलायन को मजबूर इन क्षेत्र के लोगों को इस बार निकासी व्यवस्था में सुधार से उम्मीद है कि तेज बरसात होने पर उन्हें घर छोड़कर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

तेज बारिश के दौरान शहर में आधा दर्जन से अधिक निचली बस्तियों में सड़क से लेकर घर तक पानी जमा होने की समस्या रहती थी। शांति नगर, एकता नगर जैसी कॉलोनियो में बादल इस तरह मुसीबत बनकर बरसते थे कि लोगों को एक-दो दिन के लिए अपना घर तक छोड़कर पलायन करना पड़ता था। हर साल ही नगर निगम व प्रशासन एेसे डूब प्रभावित क्षेत्रों के रहवासियों के लिए विस्थापन की व्यवस्था करता है। इस वर्ष भी विस्थापन की पूर्व तैयारियां की गई हैं लेकिन इन क्षेत्रों के रहवासियों को उम्मीद है कि इस बार उन्हें अधिक परेशान नहीं होना पड़ेगा। रहवासियों का कहना है कि नालों के निर्माण होने, बारिश पूर्व सफाई होने और खान डायवर्सन के कारण क्षेत्र में पानी जमा होने की समस्या काफी हद तक कम हो गई है। हालांकि इस सीजन में अभी मूसलधार बारिश और क्षिप्रा नदी के रौद्र रूप लेने जैसी स्थिति नहीं बनी है लेकिन निकासी व्यवस्था में सुधार के दावों ने प्रभावित होने वाले क्षेत्रों के लोगों को समस्या नहीं आने के लिए आश्वस्त जरूर कर दिया है।

चलानी पड़ी थी नांव

इंदौर रोड और क्षिप्रा नदी के बीच की कुछ निचली बस्तियों में पानी जमा होने की समस्या सर्वाधिक रहती थी। कुछ वर्ष पूर्व तो यह स्थिति भी बनी जब सड़क पर पांच फीट से अधिक पानी जमा होने के कारण रहवासियों को कॉलोनी में नांव तक चलानी पड़ी। यही नहीं आपदा प्रबंधन के लिए होम गार्ड ने भी बोट चलाकार लोगों को बाहर निकाला था।

बारिश में हजारों का नुकसान

बारिश के दौरान निचली बस्तियों में पानी जमा होने से विस्थापन की पीड़ा झेलने के साथ ही प्रभावितों को बड़ा आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ता था। घरों में चार-पांच फीट तक पानी जमा होने के कारण खाद्य सामग्री, घरेलू सामान आदि खराब हो जाते थे।

47 कॉलोनियों में आती जलभराव की समस्या

पूर्व स्थितियों के आधार पर नगर निगम ने शहर की ४७ बस्ती व कॉलोनियों को चिन्हित किया है, जहां अतिवृष्टि या बाढ़ के दौरान जलभराव की समस्या आती है। इनमें सर्वाधिक कॉलोनी जोन क्रमांक-6 में हैं। यहां 15 कॉलोनी व बस्तियों में पानी जमा होने की समस्या आती थी। इनमें से अधिकांश इंदौर रोड फोरलेन व नानाखेड़ा क्षेत्र से सटी हुई हैं। हालांकि इन 47 क्षेत्रों में से शांति नगर, एकता नगर, 11 खोली जैसे कुछ ही क्षेत्र एसे हैं, जहां घरों में अधिक पानी जमा होने के कारण विस्थापन की स्थिति बनती है। इस बार एसे क्षेत्र के लोगों को भी समस्या कम आने की उम्मीद है।

इनका कहना

खान डायवर्शन से लाभ मिला

बीते वर्षों में अधिक बारिश के दौरान क्षेत्र में पानी जमा होने की परेशानी रहती थी। खान डायवर्सन होने के बाद क्षिप्रा में बाढ़ की स्थिति कम ही बनती है। इसके अलावा निकासी व्यवस्था में सुधार के कारण उम्मीद है कि इस बार घरों में पानी जमा होने की समस्या नहीं आएगी।

– संतोष परमार, सुदर्शन नगर

पहले तो घर छोडऩा पड़ा था

पहले जब तेज बारिश होती थी तो घरों में इतना पानी भर जाता था कि रहना भी संभव नहीं होता था। घर छोड़कर मॉडल स्कूल में रहने को भी मजबूर हुए हैं। घर के पास ही बड़ा नाला गुजर रहा है। इस बार बारिश से पूर्व ही नाले की अच्छी सफाई कर दी गई है, जिससे उम्मीद है कि घरों में पानी जमा नहीं होगा।

– आशा यादव, गृहिणी

Home / Ujjain / अजीब लेकिन हकीकत: यहां की सड़कों पर चलती थी नांव

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.