महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में रक्षाबंधन का त्योहार परंपरा के मुताबिक मनाया गया। यहां के राजा महाकाल माने जाते हैं, इसलिए हर कार्यक्रम महाकाल मंदिर से शुरू होते हैं। लिहाजा सबसे पहले राखी बाबा महाकाल को अर्पित की गई। अब पूरे शहर में यह त्योहार मनाया जा रहा है। मंदिर के संजय पुजारी और पं. अजय पुजारी के परिवार की ओर से भगवान को 11 हजार लड्डुओं का महाभोग लगाया गया।
पं. राजेश पुजारी के मुताबिक श्रावणी पूर्णिमा पर श्रावण मास का समापन हो जाता है। श्रावण में पूरे माह उपवास करने वाले भक्त इस दिन लड्डू प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही उपवास खोलते हैं।
बाबा महाकाल को दुनियाभर से राखी भेजी जाती है। हजारों की संख्या में डाक से आई रखियां अर्पित की गई। यहां भगवान गणेश को यह राखी बांधी जाती है। इनमें मुम्बई, भोपाल, कोलकाता, जयपुर, लखनऊ समेत सिंगापुर, अमेरिका, लन्दन आदि स्थानों से राखी भेजी गई हैं। भगवान गणेश के लिए यह राखियां इसलिए आती हैं, क्योंकि भगवान शिव और मां पार्वती को जगत माता-पिता माना गया है। इस मान्यता से भगवान गणेश उनके भाई हुए। मुंबई से एक महिला ने सोने की गिन्नी वाली राखी भेजी थी। इस राखी को हर साल भगवान गणेश को अर्पित किया जाता है। इसके अलावा यहां अनोखे गणेश है, जिन्हें हर साल 51 फीट की राखी भगवान गणेश को अर्पित की जाती है।
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कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए इस बार भी गर्भगृह में केवल पुजारियों को ही जाने की अनुमति है, लेकिन यह परंपरा अखंड है, इसलिए कलेक्टर आशीष सिंह ने पुजारी परिवार की महिलाओं को गर्भगृह में राखी बांधने के लिए विशेष अनुमति दी है। महाकाल को ब्रह्म मुहूर्त में राखी बांधी जाती है। महाकाल मंदिर में 16 पुजारी है, जो जनेऊ पाती और खूंट पाती परिवार के होते हैं। हर परिवार को 6-6 माह के लिए भस्म आरती का जिम्मा मिलता है। जो परिवार सावन के दिनो में भस्म आरती करते हैं, केवल उनके ही परिवार की महिलाएं व बहनें महाकाल को राखी बांध सकती हैं। इस बार संजय पुजारी व अजय पुजारी को यह जिम्मेदारी मिली हुई है। इनके परिवार की 5 महिलाएं राखी बांध सकती हैं। लिहाजा उनके परिवार की महिलाओं ने बाबा महाकाल को राखी बांधी। बताया जाता है कि पुजारी परिवार की यह महिलाएं भस्म आरती से पहले रात 2 बजे मंदिर पहुंच जाती हैं। राखी बांधने तक मंत्रोच्चार किया जाता है। महाकाल के प्रसाद से यह महिलाएं व्रत खोलती है। इससे पहले पूरे परिवार को एक माह तक संयम के साथ जीवन यापन और कड़े नियमों का पालन करना पड़ता है।
7.30 से 9.00 | चंचल |
9.00 से 10.30 | लाभ |
10.30 से 12 बजे | अमृत |
11.00 से 12.30 | शुभ-अभिजीत |
1.30 से 3.00 | शुभ |
6.50 से | प्रदोषकाल |
7.00 से 8.30 | शुभ |
8.30 से 10 बजे | अमृत |