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राम ने लक्ष्मण से कहा, रावण से लो नीति ज्ञान

locationउज्जैनPublished: Oct 07, 2022 11:09:36 pm

Submitted by:

atul porwal

– मरणासन्न रावण ने लक्ष्मण को बताया था नीति सूत्र

Relegios news of Ramayan Ujjain MP

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अतुल पोरवाल
उज्जैन.
पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि रावण को तीर मारने के बाद राम ने अनुज लक्ष्मण से कहा कि ये हमारे तात भी हैं, हमसे ज्ञान में बड़े हैं, अनुभव में बड़े हैं, हमसे वर्ण में बड़े हैं तो नीति में भी बड़े हैं। उनके सम्मुख जाकर उनसे नीति का ाान लो। बड़े भ्राता की आज्ञा के पालन में लक्ष्मण रावण के पास गए और नीति का ज्ञान लिया।
क्या बोला रावण
रावण ने लक्ष्मण से कहा कि राजनीति क्या कहती है, राजा को कैसा होना चाहिए, राजा का परिवार से, प्रजा से क्या संबंध होता है, राजा का हित कैसे, प्रजा का हित किस में आदि बातों को ध्यान में रखकर इनका पालन ही नीती सूत्र बनता है। इस दौरान रावण ने अपने द्वारा किए गए कर्मकांड का भी जिक्र किया। रावण ने कहा कि मैंने जो सीता हरण का पाप किया, वह राजनीति, प्रजा पालन, धर्म और नीतिगत दृष्टिकोण के भी विपरित था। जब राजा को अपनी प्रजा का पालन करीना होता है तब दस संस्कार का पालन करना चाहिए।
प्रजापालन में दस संस्कार
1. राजा अपने चरित्र से कभी पतित ना हो।
2. राजा कभी अभिमान का स्पर्श ना करे।
3. जब भी राज्य पर संकट हो, राजा शत्रु का बलाबल अवश्य निर्धारित करे।
4. जब भी परिवार में कोई बुजूर्ग आपको मार्गदर्शन देता है, चिंतन कराता है, उसकी बात मानें।
5. अपने अभिमान या शरीरिक बल को प्रधानता ना दे।
6. शत्रु से युद्ध में पराजय की स्थिति हो संद्धी करना उचित है और राजा को इससे परहेज नहीं करना चाहिए।
7. रणनीतिक दृष्टिकोण से मानव को अपने जीवन को आगे बढ़ाना चाहिए।
8. पारिवारिक, राजनीतक व सामाजिक तीनों नीतियों का समावेश करना चाहिए।
9. जब देश या राष्ट्र पर किसी भी प्रकार का संकट हो, संबंधित मित्रों से उस विषय पर चर्चा करना चाहिए, जिससे उसका हल निकल सके।
10. जिसकी आप साधना करते हों, ईष्ट के विपरित कभी नहीं जाना चाहिए।
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