चल समारोह में श्रीजी का फूल बंगला
महाकालेश्वर-वीरभद्र ध्वज चल समारोह (गेर) का आयोजन किया गया। महाकाल मंदिर के सभामंडप ध्वज पूजन कर गेर का शुभारंभ किया। पं. महेश उस्ताद, प्रदीप गुरु और अन्य अतिथियों ने वीरभद्रजी और ध्वजा का पूजन अर्चन किया। चल समारोह में श्रीजी का फूल बंगला, भस्म आरती, वीरभद्र की उत्पत्ति, मां लक्ष्मी द्वारा क्षीरसागर में विष्णु की सेवा, सिंहस्थ महापर्व की झलक, सर्पों द्वारा महाकाल की आरती, राधा-कृष्ण की रासलीला से लेकर राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत देश के अमर शहीद राजाधिराज महाकालेश्वर सेहरा दर्शन की झिलमिलाती नयनाभिराम झांकियां शामिल थी।।
हाथी, घोड़े, ऊंट, बग्घी, चांदी का ध्वज
हाथी, घोड़े, ऊंट, बग्घी, चांदी का ध्वज, जरी के 21 ध्वज, श्री वीरभद्र भैरवनाथ का रथ था। केरल की दक्षिण भारतीय कलाकारों की चलित झांकियां, उज्जैन, इंदौर सहित देश के कई बैंड की धार्मिक, राष्ट्रीय गीतों और भजनों की स्वरलहरियों, नासिक-पुणे का 75 सदस्यीय ढोल-ताश पार्टीदल थाप ने लोगों को मंत्र मुग्ध कर दिया। महाकाल की गेर में नगरवासियों को देश के कई राज्यों की धर्म, संस्कृति एवं वाद्य यंत्रों की झलक देखने को मिली। करीब दो किलोमीटर लंबी महाकाल की आकर्षक गेर तोपखाना, दौलतगंज, फव्वारा चौक, नई सड़क, कंठाल, सतीगेट, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा होते हुए महाकाल मंदिर पर संपन्न हुई। चल समारोह में महाकाल मंदिर के पुजारी, पुरोहित, श्रद्धालु शामिल थे। इसके पहले सुबह सिंहपुरी की रंग गेर महाकाल मंदिर पहुंची। महाकाल मंदिर की ओर से ध्वज भेंट किया गया। ध्वज शाम को सिंहपुरी के चल समारोह में शामिल रहा। सिंहपुरी का चल समारोह गणगौर दरवाजे से होकर कार्तिक चौक, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार, पानदरिबा, सिंहपुरी पहुंची।
अन्य निशान, गेर भी
गुर्जर गौड़ ब्राह्मण समाज सिंहपुरी की गेर शाम को आताल-पाताल भैरव मंदिर से निकली। गेर में बैंड, ढोल व पांच ध्वज के साथ गुरु मंडली का अखाड़ा शामिल थे। कार्तिकचौक से रात को ढोल व अखाड़े के साथ क्षेत्र में गेर निकाली गई। गेर के समापन पर तोपतोड़ भैरव का पूजन किया गया।