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जर्जर मकान तो हटा दिए, खुली डीपी और टूटे ओटलों पर नहीं पड़ी नजर

पत्रिका मुहिम: महाकाल आएंगे द्वार, हम कितने तैयार ,जर्जर मकान तो हटा दिए, खुली डीपी और टूटे ओटलों पर नहीं पड़ी नजर, अनदेखी के सुराख से हादसे का डर,कुछ कार्यों को पहली बार अंजाम दिया, कई जगह ध्यान देने की दरकार

उज्जैनJul 19, 2019 / 10:56 pm

Shailesh Vyas

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उज्जैन. २२ जुलाई को बाबा महाकाल की पहली सवारी निकलने वाली है। इसके लिए मैदानी स्तर पर व्यापक तैयारियां की जा रही है। मार्ग को चकाचक किया जा रहा है। नालियों पर फर्शी ढंकी जा रही है। जर्जर मकान हटाए जा रहे हैं। इसमें कुछ कार्यों को पहली बार अंजाम दिया गया है लेकिन कुछ स्थानों पर शायद प्रशासन की नजर नहीं पड़ी है। मार्ग पर कुछ जगहों पर डीपी खुली पड़ी है तो कहीं जर्जर ओटलें भी हैं, जो सवारी के दौरान हादसे का कारण बन सकते हैं। शुक्रवार को पत्रिका टीम ने सवारी मार्ग का भ्रमण किया तो यह हकीकत सामने आई।
.एक काम के दो पहलू
मार्ग पर पडऩे वाली डीपी पर हमेशा जाली लगाई जाती है। इस बार मजबूती के लिए लोहे के एंगल के साथ जालियों को लगाया गया है। इन सबके बीच जगदीश मंदिर के पास एक डीपी को तीन तरफ से जालियों के माध्यम से कवर कर दिया, लेकिन एक हिस्से को छोड़ दिया गया है। सवारी आगमन के दौरान श्रद्धालुआें के उक्त हिस्से से आवागमन करने से डीपी की चपेट में आने की आशंका है।
क्षतिग्रस्त ओटले
अधिकांश क्षेत्र में खुली नालियों को फर्शी और सीमेंट-कांक्रीट से कवर किया गया है, लेकिन निजी मकानों के क्षतिग्रस्त ओटलों पर ध्यान नहीं है। जब सवारी निकलती है तो अनेक श्रद्धालु ऊंचे स्थानों से दर्शन करने की ललक में ओटलों पर चढ़ते हैं। क्षतिग्रस्त और जर्जर ओटले हादसे की वजह बन सकते हैं।
रामघाट के मुहाने पर निर्माण
भगवान महाकाल का रामघाट पर शिप्रा जल से अभिषेक और पूजन होता है। यहां आम लोगों का प्रवेश नहीं दिया जाता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु रामघाट पर जाने के प्रयास करते हैं। एेसे में रामघाट के मुहाने पर रामानुजकोट और बंबई वालों की धर्मशाला के सामने श्रद्धालुओं के साथ सवारी में शामिल भजन मंडलियों को दबाव रहता है। इसी स्थान पर सुलभ कॉम्प्लेक्स के लिए चैंबर का काम चल रहा है। कार्य की गति काफी धीमी है और प्रथम सवारी में में केवल दो दिन का समय शेष है।
जर्जर भवनों पर पहली बार सख्ती
भगवान महाकाल की सवारी में जनहित के मद्देनजर प्रतिवर्ष जर्जर भवनों को लेकर चिंता व्यक्त की जाती रही है। हर वर्ष नगर निगम द्वारा खतरनाक स्थिति के भवनों की सूची बनाकर नोटिस जारी कर भवन के नीचे/आसपास खड़े नहीं रहने की चेतावनी चस्पा होती रही है। इस वर्ष पहली बार हुआ कि प्रशासन और नगर निगम ने सख्ती के साथ खतरनाक भवनों को गिराने का अभियान चला दिया। नतीजतन जर्जर भवन मालिकों ने स्वयं की भवनों को तोडऩे का कार्य प्रारंभ कर दिया।

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