उज्जैन

अक्षय ऊर्जा… तीन वर्ष में 475 पंजीयन और केवल 195 को मिले पम्प

अक्षय ऊर्जा के दोहन को प्रोत्साहित करने के साथ किसानों को सिंचाई के लिए आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से सरकार की 90 से 85 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान भी है।

उज्जैनAug 17, 2019 / 11:25 am

Lalit Saxena

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उज्जैन. अक्षय ऊर्जा के दोहन को प्रोत्साहित करने के साथ किसानों को सिंचाई के लिए आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से सरकार की 90 से 85 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान भी है। इसके बाद भी किसानों की उदासीनता और सरकार की नीति से योजना पर ग्रहण लगा हुआ है। जिले में तीन वर्षो के दौरान 475 किसानों ने पंजीयन कराया है और 195 को सोलर पम्प मिले हैं।

मध्यप्रदेश शासन, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना द्वारा देय अनुदान के माध्यम से सिंचाई प्रयोजन के लिए सोलर पम्प स्थापना की योजना है। इसमें 3 एचपी तक सोलर पम्प के लिए लागत का 10 प्रतिशत और उससे अधिक क्षमता के सोलर पम्प के लिए लागत का 15 प्रतिशत की किसान को देना होता है। शेष राशि का भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है।

सिंचाई के लिए किसानों को बिजली आने-जाने पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। न्यू एंड ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने और किसानों की सुविधा के लिए सोलर वॉटर पम्प के लिए ऊर्जा विकास निगम के माध्यम सेकिसानों को नाममात्र की लागत पर बिना बिजली के काम करने वाले सोलर पम्प दिए जा रहें है। सोलर वॉटर पम्प योजना के तहत भारत सरकार और प्रदेश शासन की ओर से अधिकतम 90 फीसदी तक सब्सिडी दी जा रही है। किसानों को पारम्परिक ऊर्जा में दी जाने वाली विद्युत के अंतर्गत प्रति वर्ष अनुदान दिया जाता है, जबकि इस योजना में एकमुश्त अनुदान दिया जाना सरकार एवं किसान दोनों के लिए लाभकारी है। इसके बाद उज्जैन जिले में मात्र १९५ किसानों को सोलर पम्प का लाभ मिल रहा हैं।

योजना के लिए सरकार के प्रावधान
योजना का क्रियान्वियन प्रदेश के उन दूर-दराज के क्षेत्रों में प्रस्तावित, जहां विद्युत वितरण कम्पनियों द्वारा विद्युत अधोसंरचना का विकास नहीं किया जा सका हैं। कृषि पम्पों के स्थाई विद्युत कनेक्शन नहीं हैं।
योजना राज्य के उन जिलों में क्रियान्वित किया जाना प्रस्तावित है, जहां विद्युत वितरण कम्पनियों की वाणिज्यिक हानि काफी अधिक है। प्राथमिकता उन स्थानों पर जहां विद्युत अधोसंरचना विकसित नहीं है, कृषि पम्पों हेतु कनेक्शन नहीं है या जहां विद्युत कम्पनियों ने वाणिज्यिक हानि के कारण ट्रांसफार्मर हटा लिए है।

खेत से बिजली की लाइन की दूरी 300 मीटर से अधिक होने और फसलों के चयन के कारण पानी की आवश्यकता बेहद ज्यादा रहने वाले स्थानों पर भी वरियता के आधार पर पम्प आवंटित दिए जाएंगे।

पम्पों की सतत आपूर्ति नहीं
सरकार ने योजना तो बेहत्तर बना रखी है। कुछ कारण है,जिनकी वजह से पम्पों की सतत आपूर्ति नहीं हो पाती है। राज्य शासन की स्वीकृति और केंद्र सरकार के आवंटन पर ही किसानों को वॉटर पम्प प्रदाय किए जाते हंै। इनके निर्माण में आने वाली मशीनों कलपुर्जों का निर्माण देश में कम ही होता है। यह स्थित मांग के अनुसार पूर्ति में सबसे बड़ी बाधक है।

सोलर पम्पों पर अंशदान
सोलर पम्प कुल राशि किसान का अंशदान
एक एचपी डीसी सबमर्सिबल एक लाख ८5 हजार ७१३ १८,६००
दो एचपी डीसी सरफेस दो लाख २४ हजार ७८१ २२,५००
दो एचपी डीसी सबमर्सिबल दो लाख ४७ हजार ९८४ 2५,०00
तीन एचपी डीसी सबमर्सिबल तीन लाख ६1 हजार २३५ 3६,१५०

पम्पों के पंजीयन व कनेक्शन की स्थिति
स्थान पंजीयन कनेक्शन शेष
उज्जैन संभाग ४०२३ २१२८ १८९५
उज्जैन जिला ४७५ १९५ २८०

किसानों की कम रुचि इसलिए
जिले में सभी स्थानों पर बिजली की उपलब्धता है।
सोलर वॉटर पम्प भू-जल स्तर अधिक नीचे होने के कारण पानी की निकालने में दिक्कतें।
पम्प की सुरक्षा की चिंता,सोलर पेनल को लगाने के बाद बार-बार निकाला नहीं जा सकता। विद्युत पम्प में एेसा कुछ नहीं है। विद्युत पम्प आसनी से एक-स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकता है। संचालन-संधारण आसान, लेकिन किसानों भविष्य को लेकर चिंता।

सोलर पम्पों की सफलता को देखकर कृषक उत्साहित हो रहे हैं और मांग प्रतिदिन बढ़ रही है। भारत सरकार एवं राज्य शासन से स्वीकृति प्राप्त होने पर पंजीकृत किसानों के खेतों में सोलर पम्प की स्थापना कर दी जाएगी। इस दिशा में प्रक्रिया चल रहीं है।

– एससी शर्मा, प्रबंधक उर्जा विकास निगम

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