अनिल मुकाती
उज्जैन. दो साल के कोरोना काल ने हमारे जीवन और रहन-सहन पर गहरा असर डाला है। जब कोरोना संक्रमण पीक पर था, उस दौरान खान-पान में आया बदलाव लोगों को रास आने लगा है। लोगों को समझ आ गया है कि अच्छा खान-पान ही हमारी तंदुरुस्ती की रक्षा करता है। इसका असर वैवाहिक आयोजनों पर भी दिखाई दे रहा है। जिन परिवारों में शादी है, वहां माता पूजन से लेकर विदाई तक की रसोई इस तरह से बनाई जा रही है, जो स्वाद तो दे ही साथ ही किसी मेहमान को बीमार भी ना करें। मौसम में बदलाव भी इसका एक कारण है। अभी गर्मी का मौसम है, इस मौसम में खाना जल्दी खराब हो जाता है। ऐसे में घराती मिठाई, नमकीन सहित मुख्य रसोई में ऐसी चीजें बनवा रहे हैं, जो लंबे समय तक टिक सके।
इस सीजन में और कितने मुहूर्त हैं
10 जुलाई को देवशयिनी एकादशी तक कुल 25 मुहूर्त हैं। इनमें 5 से 12 जून, 14 से 16 जून, 21 से 23 और 26 जून, जुलाई में 3 तारीख से लेकर 10 जुलाई तक शुभ मुहूर्त हैं।
यह है शादी की रसोई का सामान्य मीनू
स्टार्टर: सेंव पपड़ी, मूंग पकौड़ा, पित्जा, नूडल्स, मंचूरियन, चिली पनीर, खोपरा पेटीस, दहीबड़ा, कचौरी/समोसा, खमण ढोंकला, आलू टिकिया, साबुदाना खिचड़ी, ग्रीन सलाद, अचार, मोंठ, पापड़ आदि
मेन कोर्स: दाल तडक़ा, जीरा राइस/पुलाव/ एस्टीम राइस, दही की कड़ी, तवा सब्जी, मटर पनीर/शाही पनीर/छोला पनीर/पनीर मसाला, बैंगन मसाला, भिंडी मसाला, मिर्ची बेसन, प्याज मसाला, भरवा टमाटर, भरवा टिंडे, सेंव टमाटर, तंदूरी रोटी, तवा रोटी, मसाला पूरी आदि
मिठाई: बंगाली मिठाइयां, आम पाक, श्रीखंड, सीताफल रबड़ी, मैसूर पाक, मूंग चक्की, बेसन चक्की, बेसन और ड्रायफ्रूट के लड्डू
अन्य: पुदीना और जलजीरा फ्लेवर में पानी पुरी, मटका कुल्फी, बर्फ का गोला, कैरी का पना, बारिश के सीजन में कैरी के पने की जगह काफी, रसभरा पान
(कैटर्स के मुताबिक)
क्या कहते हैं कैटरिंग वाले
श्रीनाथ कैटर्स के संचालक कपिल गुप्ता बताते हैं कि गर्मी के मौसम में मावे से बनी मिठाइयों की डिमांड न के बराबर है। लोग ऐसी मिठाई बनवा रहे हैं, जो खराब ना हो। साथ ही मुख्य रसोई में भी कम तेल और मसाले वाले पकवान बनवा रहे हैं, जो आसानी से डायजेस्ट हो जाए। पूरी का चलन तो एक तरह से खत्म हो गया है। इसकी जगह पर तंदूरी रोटी, तवा रोटी और बाटी-बाफले ने ले ली है। साथ ही सब्जी में भी हेवी ग्रेवी को लोग मना रहे हैं, सामान्य रूप से बनने वाली सब्जियां ही शादियों में बनाई जा रही है। साथ ही गर्मी के मौसम के अनुकूल दही से बने उत्पाद मीनू में शामिल किए जा रहे हैं।
यह है कहते हैं लोग
ग्राम रतनखेड़ी के शिवजीराम चौधरी बताते हैं कि उनके पोते का विवाह २६ जून को है। इस समय गर्मी और बरसात के कारण उमस का माहौल रहता है। ऐसे में शादी के रसोई में एक भी मावे की मिठाई नहीं बना रहे हैं। क्योंकि इससे फूड पॉइजनिंग हो सकती है। इसके बदले में मूंग की चक्की, बेसन चक्की, बेसन के लड्डू, बूंदी के लड्ड, मक्खन बड़ा आदि बना रहे हैं। साथ ही मुख्य रसोई में पूरी की जगह पर रोटी बनवा रहे हैं, इसके लिए किराये पर रोटी बनाने की मशीन लाने की सोच रहे हैं। एक रसोई में भी दाल-बांटी और चूरमा बनाएंगे। इसमें भी दाल तरीदार नहीं होगी। हलवाई को लहसुन और प्याज का इस्तेमाल भी सीमित मात्रा में करने को कहा है।
ग्राम पिपलिया सडक़ के मोहनलाल पटेल बताते हैं कि दो साल के कोरोना काल के बाद ग्रामीणों की दिनचर्या में भी खासा बदलाव आया है। पहले जहां गांवों में गरिष्ठ भोजन को तवज्जो दी जाती है, अब वहीं हल्का और सुपाच्य भोजन पसंद किया जा रहा है। ५ जुलाई को भांजी की शादी है। इसमें भी कम मसाले दार भोजन बनवाया जा रहा है। मावे की कोई मिठाई नहीं बनाई जा रही। सब्जी में आलू की जगह पर चंवला, मटर और सीजनल हरी सब्जी रखी गई है। पूरी तो बनाई जाएगी, लेकिन उसके लिए सनफ्लॉवर ऑइल का उपयोग करेंगे ,ताकि खाने में ज्यादा तेल नजर नहीं आए।