उज्जैन

साध्वी मीरा दीदी ने शिव-पार्वती की यह कहानी सुनाई और…

मंडली में रामकथा का आयोजन

उज्जैनDec 19, 2018 / 12:54 am

Gopal Bajpai

मंडली में रामकथा का आयोजन

उज्जैन. कृषि उपज मंडी उज्जैन में चल रहे पांच दिवसीय रामकथा के दूसरे दिन मंगलवार को शिव पार्वती विवाह प्रसंग हुआ। कथा वाचन कर रही साध्वी मीरा दीदी ने कहा कि एक बार माता सती ने भगवान श्रीराम की परीक्षा ली। वे माता सीता का रूप धरकर श्रीराम के सामने गईं तो श्रीराम कहा कि आप अकेले वन में आईं है, भोलेनाथ कहां है। तब माता सती को आत्मग्लानि हुई और उन्होंने परिताज्य की भावना आने से अग्नि प्रवेश के बाद अगले जन्म में हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया तथा कठोर तप करने पर पुन: भगवान् शिव की प्राप्ति हुई और शिव पार्वती विवाह संपन्न हुआ।
कार्यक्रम संयोजक मंडी अध्यक्ष बहादुर सिंह बोरमुंडला ने बताया कि कथा विश्रांति के अवसर पर मुख्य यजमान गोर्धन सिंह पटेल, विधायक महेश परमार, व्यापारी बजरंग लाल हरभजनका, व्यापारी संघ अध्यक्ष दिलीप गुप्ता, सचिव जीतेन्द्र अग्रवाल, मुकेश हरभजनका, गोविन्द खंडेलवाल, सब्जी मंडी व्यापारी संघ अध्यक्ष ओमप्रकाश हारोड़, सचिव दीपक पमनानी, हजारीलाल मालवीय, सतीश राजवानी, दिनेश हरभजनका, संतोष हरभजनका, राजेश हरभजनका, राजू राठौर, अजय खंडेलवाल, मोहनलाल राठौर, रामप्रताप राठौर, अनिल जैन ताजपुर, संजय खंडेलवाल आदि ने आरती की।
विद्या से विनय आता है और गुरु की संगत से टूटता है अभिमान
उज्जैन ञ्च पत्रिका. विश्वात्मानंद महाराज ने सामाजिक न्याय परिसर आगररोड पर चल रही भागवत कथा में मंगलवार को कहा कि विद्या से विनय आता है और गुरु की संगत में रहकर अभियान टूट जाता है। स्वामीजी ने दोपहर 3 बजे मंगलाचरण के साथ कथा आरंभ करते हुए भगवान के रास उत्सव का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि भगवान ने ब्रज में राधा व गोपियों संग ऐसा महारास रचाया कि स्वयं भगवान शिव और पार्वती भी अपने को रास में आने से नहीं रोक पाए। स्वामीजी ने गोकुल में देखा, मथुरा में देखा, वृंदावन में देखा श्याम संग राधा नाचे भजन सुनाया तो मंच पर राधा-कृष्ण बनकर आए बच्चों ने रास खेला तो पंडाल में उपस्थित सैकड़ों महिला-पुरुष रास खेलने लगे।
आज रुक्मिणी विवाह, मालीपुरा से निकलेगी बारात: कथा में बुधवार को श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह, अन्य विवाह, मित्र सुदामा का मिलन, कृष्ण लीला संवरण, सत्संग महिमा के प्रसंग और शुकदेव जी का अंतिम उपदेश होगा। रुक्मिणी विवाह प्रसंग के लिए शाम को मालीपुरा से बैंड-बाजों भगवान की बारात कथा स्थल तक आएगी।
कल संतों एवं ज्योतिषियों का गुरुवर पर व्याख्यान: 20 दिसंबर को सुबह 10 बजे पूर्णाहुति होगी एवं शाम 4 बजे से संतों व ज्योतिषाचार्यों द्वारा गुरुवर पर व्याख्यान एवं स्वामीजी व संत-महात्माओं एवं कार्यकर्ताओं का सम्मान किया जाएगा।
शांति के अग्रदूत हैं भगवान कृष्ण
उज्जैन ञ्च पत्रिका. भगवान श्रीकृष्ण शांति के अग्रदूत माने जाते हैं। महाभारत में भी भगवान ने कौरवों के समक्ष सबसे पहले शांति का ही प्रस्ताव रखा था। लेकिन उनकी मति मारी गई थी जो भगवान के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया था, जिसका नतीजा महाभारत का युद्ध हुआ और सब मारे गए। यानि जिसने अशांति की ओर रूख किया उसका अंत भी बुरा ही होता है। यह बात शांतिस्वरूपानंद महाराज ने ऋषिनगर में आयोजित भागवत कथा के दूसरे दिन मंगलवार को विदुर प्रसंग सुनाते हुए कही। महाराज ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने युद्ध और हार-जीत का पक्ष कभी नहीं लिया। उन्होंने तो धृतराष्ट्र की सभा में पांडवों की ओर से प्रस्ताव देकर कहा था कि वे युद्ध नहीं शांति चाहते, उन्हें तो जीविकोपार्जन के लिए पांच गांव दे दें, लेकिन सभा में मौजूद धृतराष्ट्र मौन बैठे रहे। अनीति के सहचर दुर्योधन शान्ति का प्रस्ताव अस्वीकार कर युद्ध के रास्ते पर चल पड़ा जिसका परिणाम सब जानते हैं। स्वामी ने वर्तमान की ओर इंगित करते हुए कि राम जन्मभूमि पर भी शांति के साथ समाधान हो जाना चाहिए।
 

चारधाम मंदिर के प्रबंधक पंडित रामलखन शर्मा ने बताया कि महाराज ने यहां गीता जयन्ती के अवसर पर श्री महामृत्युंजय महिला मंडल ऋषिनगर द्वारा आयोजित उत्सव में कथा का संगीतमय वाचन कर रहे हैं। कथा में बुधवार को स्वामी धु्रव चरित्र, प्रहलाद चरित्र के प्रसंग सुनाएंगे। प्रतिदिन कथा दोपहर 2 से शाम 6 बजे तक आयोजित की जा रही है। कथा का समापन 23 दिसंबर को होगा।

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