कोरोना के चलते दो साल से बाबा महाकाल की सवारी परिवर्तित मार्ग से नगर भ्रमण पर निकाली जा रही थी। इस वर्ष मंदिर प्रशासन परंपरागत मार्ग से ही सवारी निकालने की बात कर रहा है, हालांकि समय बहुत कम है, ऐसे में बारिश भी परेशानी बढ़ा रही है। मंदिर का प्रमुख द्वार जहां से सवारी बाहर निकलती है, वहां पर अंडर ग्राउंड वेटिंग हॉल की खुदाई चल रही है, जिसमें 10 हजार से अधिक यात्री ठहर सकेंगे। सावन-भादौ के प्रति सोमवार को बाबा महाकाल की सवारी निकाले जाने की परंपरा है। मंदिर के बाहर चल रहे वेटिंग हॉल निर्माण कार्य को फिलहाल शिथिल कर, सबसे पहले सवारी के लिए पालकी मार्ग तैयार करने पर फोकस किया जा रहा है। इसके लिए सीमेंट का रैम्प बनाया जा रहा है।
पालकी की ऊंचाई बढ़ाने को लेकर असमंजस
इधर, मंदिर समिति के अधिकारी इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि पालकी की ऊंचाई कैसे बढ़ाएं। रथ पर निकालें या कहारों के कांधों पर। ऊंचाई बढ़ाएंगे, तो पालकी में अधिक वजन हो जाएगा। साथ ही पालकी चांदी से बनी हुई है, इसमें अन्य धातु का प्रयोग नहीं किया जा सकता। नई पालकी बनाने का फिलहाल समय नहीं बचा है।