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विद्वानों ने बताया प्रकृति सरंक्षण को आवश्यकता नहीं अनिवार्य

locationउज्जैनPublished: Mar 20, 2018 10:32:27 pm

Submitted by:

Gopal Bajpai

नवसंवत्-नवविचार के तहत प्रकृति संरक्षण की वैदिक संहिता पर व्याख्यान

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उज्जैन. प्रकृति में मुनष्य के प्राण छिपे हुए है। जल, वायु, वनस्पति और स्वच्छ वातावरण के बिना जीवन की कल्पना संभव ही नहीं है। इसलिए वैदिक संहिता में प्रकृति संरक्षण के महत्व व सौदर्य का वर्णन है। लोगों को स्वस्थ्य जीवन के लिए प्रकृति की रक्षा करना आवश्यक है। यह बात समाजसेवी व विचारक नवीन भाई आचार्य ने नवसंवत्-नवविचार संस्था के विक्रम संवत् 2075 आयोजन में कहीं।
कालिदास अकादमी के कलाविधिका सभागृह में मंगलवार शाम 7.30 बजे विचार खण्ड के तहत प्रकृति संरक्षण की वैदिक संहिता विषय पर व्याख्यान हुआ। इसमें विचारक नवीन भाई आचार्य ने प्रकृति संरक्षण को आवश्यकता नहीं अनिवार्य बताया। उनका कहना था कि प्रकृति के बिना जीवन संभव नहीं। जल के विषय में बोलते उन्होंने कहा कि अन्न जल से है और अन्न को पचाने के लिए जल की आवश्यकता है, लेकिन आज समाज में लोग जल की महत्वता को नहीं समझते। पीने के पानी का प्रयोग सड़क धोने के लिए करते है। जहां एक बाल्टी से काम चल सकता है। वहां नल से पानी बहाते है। उन्होंने वायु के संबंध में ब्लडप्रेशर की प्रक्रिया का उदाहरण देकर समझा। इसी के साथ आयुर्वेद और वनस्पति के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उनका कहना था कि वैदिक ग्रंथ व प्राचीन श्लोक में प्रकृति संरक्षण के संबंध काफी कुछ दिया है, लेकिन समय के साथ लोगों ने सब कुछ भूला दिया। आज परेशानी होने पर समाधान खोजते है। कार्यक्रम में संस्था के योगेश शर्मा, दिनेश जैन व शहर के प्रबुद्ध लोग उपस्थित रहे।
वनस्पति के गिनाएं फायदें
व्याख्यान में नवीन भाई ने वनस्पति के फायदे गिनाएं। उनका कहना है कि लोग पहले घर में पौधे लगाते थे। उन्हें धर्म से जोड़ते थे, लेकिन इनका वैज्ञानिक कारण है। इन विशेष वनस्पति के गुण भी विशेष है। जब हवा इन पौधों के ऊपर से गुजरती है। तो इनके तत्व लेकर मनुष्य में प्रवेश करती है। जो उसे निरोगी बनाती है।
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