स्कूल यूनिफॉर्म बनी पहचान... मूकबधिर बच्चा सुरक्षित पहुंचा घर
खेलते हुए रास्ता भटकर घर से रेलवे स्टेशन पहुंचा चार वर्षीय छात्र
उज्जैन
Published: February 18, 2022 12:33:50 am
नागदा. आरपीएफ और जीआरपी की सजगता से स्टेशन पर अकेले घूम रहा चार साल का मूकबधिर बच्चा अपने परिजनों के पास सही सलामत पहुंच गया। वाक्या कुछ ऐसा है कि बच्चा रेलवे स्टेशन पर अकेला घूम रहा था। यहां गश्त कर रहे आरपीएफ आरक्षक को देखकर छात्र ने आरक्षक को इशारों में आपबीती बताने का प्रयास किया। आरपीएफ आरक्षक बच्चे को जीआरपी चौकी ले गया। यहां चौकी प्रभारी ने आरक्षक की मदद से बच्चें की ड्रेस से स्कूल का पता किया और स्कूल संचालक से संपर्क कर उसकी पहचान कराई। स्कूल से टीम चौकी पहुंची, दूसरी तरफ परिजनों को स्टेशन बुलाया गया। फिर बच्चे को परिजनों के सुपुर्द किया गया।
जीआरपी ने बताया कि छात्र की पहचान दीपक परमार निवासी बादीपुरा के रुप में हुई है। गुरुवार शाम छात्र स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक पर अकेला घूम रहा था। इसी दौरान आरपीएफ आरक्षक शिवचरण यहां गश्त कर रहा था। कांस्टेबल को देखकर छात्र उसके पास पहुंचा। मूकबधीर होने की वजह से छात्र ने इशारों में कांस्टेबल शिवचरण को अपनी व्यथा बताने का प्रयास किया। आरक्षक शिवचरण बच्चे को लेकर जीआरपी चौकी पहुंचा। यहां मौजूद चौकी प्रभारी प्रकाश श्रीवास्तव ने आरक्षक प्रतीकसिंह की मदद से स्कूल ड्रेस से छात्र के स्कूल का पता किया। आरक्षक ने संस्था के संस्थापक पंकज मारू से संपर्क कर बच्चे का फोटो मारू के वाट्सएप पर भेजा। मारू ने बच्चे की पुष्टि की। इसके बाद वे परिजनों को लेकर जीआरपी पहुंचे। तब तक जीआरपी ने बच्चे को अपनी अभिरक्षा में रखा। परिजनों व स्कूल प्रबंधन के पहुंचने पर बच्चे को उनके सुपूर्द किया गया।
सूचना मिलते ही टीम को स्टेशन भेजा
घटना वाले दिन संस्था स्नेह के संस्थापक पंकज मारू इंदौर में थे। मारू ने बताया कि उनके पास जीआरपी से फोन जाते ही उन्होंने अपनी टीम को एक्टिव किया। संस्था के विपलव चौहान व चंदनसिंह जीआरपी चौकी पहुंचे, उन्होंने जीआरपी की मदद से बच्चे के परिजनों से संपर्क कर उन्हें स्टेशन बुलाया। प्रक्रिया पूरी होने के बाद बच्चे को परिजनों के सुपूर्द किया गया। संस्था के विपलव चौहान ने बताया कि बच्चा बादीपुरा क्षेत्र में रहता है। गुरुवार शाम वह खेलते-खेलते स्टेशन पर पहुंच गया।
एक कार्यक्रम में देखी थी ड्रेस, तब से ध्यान था
बच्चे को परिजनों से मिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आरक्षक प्रतीक ने बताया कि उन्होंने संस्था के एक कार्यक्रम में बच्चों के बदन पर यह ड्रेस देखी थी। प्लेटफॉर्म पर अकेले घूम रहे बच्चे के ड्रेस देखकर उन्हें संस्था का ध्यान आया। तब उन्होंने पंकज मारू से संपर्क कर बच्चे को आइडेंटिफाई कराया।

खेलते हुए रास्ता भटकर घर से रेलवे स्टेशन पहुंचा चार वर्षीय छात्र
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