उज्जैन प्रशासन की ओर से महाकाल बाबा के लिए पूरे मार्ग पर विशेष व्यवस्था की गई थी। पूरे मार्ग पर रेड कारपेट बिछाया गया। वहीं फूलों और रंगोली के रंग में पूरा मार्ग रंगा हुआ नजर आया। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए इस बार फेसबुक पेज, वेबसाइट और टीवी चैनल पर ही लोगों ने बाबा के दर्शन किए।
महाकालेश्वर की श्रावण-भादौ की महा सवारी (प्रमुख) महाकाल मंदिर से नए रुट पर निकली। इस सवारी के पहले विश्वप्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के शिखर का ध्वज बदला गया था, जो परंपरा के मुताबिक प्रत्येक शाही सवारी के पहले बदल दिया जाता है। मंदिर के द्वार को फूलों का गेट बनाया गया था, रास्ते को भी सजाया गया था। गौरतलब है कि हर साल बड़ी संख्या में यहां भीड़ उमड़ती है और कहा जाता है कि तिल रखने की भी जगह नहीं होती है। इस बार कोरोना काल के कारण भीड़ को नियंत्रित करने की व्यवस्था की गई।
यह भी है खास
उज्जैन के हरसिद्धि चौराहे पर देवी की विशाल प्रतिमा भक्तों के आकर्षण का केंद्र बनी थी।
शाही सवारी के आगे-आगे कार्यकर्ता इलेक्ट्रॉनिक आतिशबाजी भी कर रह थे।
मंदिर के गर्भगृह से लेकर रामघाट तक आकर्षक सजावट की गई
हरसिद्धि पर महाकालेश्वर की शिप्रा आरती की तर्ज पर महाआरती हुई।