उज्जैन

स्मार्ट सिटी योजना पर शंकराचार्य ने किया सवाल

धर्मसभा में शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा क्या स्मार्ट सिटी में जल, पृथ्वी और वायु की शुद्धि का चिंतन किया गया है

उज्जैनDec 09, 2019 / 12:29 am

anil mukati

धर्मसभा में शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा क्या स्मार्ट सिटी में जल, पृथ्वी और वायु की शुद्धि का चिंतन किया गया है

उज्जैन. देश में स्मार्ट सिटी का निर्माण तो होना चाहिए पर क्या इसमें जल की शुद्धि, पृथ्वी की शुद्धि, वायु की शुद्धि का चिंतन किया गया है। अंधाधुंध होता वनों का क्षरण महायंत्रों का निर्माण कहीं विनाश का कारण तो नहीं बन रहा है। यह बात महाकाल प्रवचन हॉल में मंदिर प्रबंध समिति द्वारा रविवार शाम पांच बजे आयोजित धर्मसभा की अध्यक्षता करते हुए श्री गोवर्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कही।
निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि परोक्ष रूप से आज के वैज्ञानिक भी यह मानते हैं कि यदि इसी गति से भौतिकता की अंधी दौड़ में सृष्टि का विकास चलता रहा तो अधिकतम 30 वर्ष में सृष्टि समाप्त हो सकती है। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद भी दिया किन्तु भविष्य के खतरे से सावधान भी किया।
वेदों से ही सृष्टि की उत्पत्ति
शंकराचार्य ने कहा कि भूत, भविष्य एवं वर्तमान तीनों काल की चिंता वेदों में की गई है। वेद शब्द के द्वारा ही सृष्टि की संरचना हुई है। वेदों के अध्ययन, अध्यापन की व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए समाज से आग्रह किया। दुनिया में जितने भी वैज्ञानिक हैं उन्हें भी गीता का अध्ययन करना चाहिए इसी में संसार का हित निहित है। सोमवार सुबह 11.30 बजे पं सूर्यनारायण व्यास अतिथि निवास में संगोष्ठी के कार्यक्रम के बाद शंकराचार्य दोपहर 03 बजे इन्दौर के लिए रवाना होंगे।
वेद मंत्रों का पारायण
वैदिक शोध संस्थान के छात्रों के छात्रों ने स्वस्तिवाचन एवं महर्षि सान्दीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के आचार्यों एवं छात्रों के द्वारा वेदों के अलग-अलग 08 शाखाओं के मंत्रों का पारायण किया गया। इसके पूर्व दीप प्रज्जवलन हुआ। इसके बाद प्रबंध समिति शॉल, श्रीफल उत्तरीय वस्त्र एवं सम्माननिधि का चेक प्रदान कर शंकराचार्य का स्वागत किया गया। इसके साथ ही आदित्य वाहिनी के संयोजक सुधीर चतुर्वेदी एवं अन्य संगठनों के द्वारा भी सम्मान किया गया। कार्यक्रम में डॉ मोहन गुप्त, सुरेन्द्र चतुर्वेदी, जियालाल शर्मा, सुनील जैन, कुंज बिहारी पाण्डे, डॉ सदानंद त्रिपाठी आदि उपस्थित थे। संचालन श्री महाकालेश्वर वैदिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान के प्रभारी एवं प्राचार्य डॉ पीयूष त्रिपाठी द्वारा किया गया।
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