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शरदोत्सव: पीर मत्स्येंद्रनाथ की समाधि पर बंटेगी खीर, पेश करेंगे आस्था की चादर

locationउज्जैनPublished: Oct 11, 2019 10:37:20 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

Ujjain News: प्राचीन तप:स्थली पीर मत्स्येंद्रनाथ की समाधि पर दो दिवसीय शरदोत्सव का आयोजन शनिवार से आरंभ होगा।

sharad purnima Pir Matsyendranath Samadhi in Ujjain

Ujjain News: प्राचीन तप:स्थली पीर मत्स्येंद्रनाथ की समाधि पर दो दिवसीय शरदोत्सव का आयोजन शनिवार से आरंभ होगा।

उज्जैन. प्राचीन तप:स्थली पीर मत्स्येंद्रनाथ की समाधि पर दो दिवसीय शरदोत्सव का आयोजन शनिवार से आरंभ होगा। अध्यक्ष डॉ. प्रकाश रघुवंशी, सचिव राम सांखला ने बताया परंपरा 50 साल से निभाई जा रही है। 12 अक्टूबर को शाम 6 बजे से समर्थ हनुमान दल के पं. प्रवीण के नेतृत्व में सुंदरकांड, रात 8 बजे कवि सम्मेलन होगा। १३ अक्टूबर को शाम 7 बजे प्रसिद्ध गायक ज्वलंत-अमित शर्मा द्वारा भजन संध्या होगी। हरीश पोत्दार के नेतृत्व में सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। समाधि पर चल समारोह के साथ चादर पेश की जाएगी। रात 12 बजे महाआरती के बाद खीर वितरण की जाएगी।

नि:शुल्क दमा दवाई वितरण 13 को
शरद पूर्णिमा पर हरिओम आश्रम गणेश कॉलोनी के स्वामी निर्मुलानंद महाराज द्वारा श्वास की बीमारी की दवा 13 अक्टूबर को नि:शुल्क वितरण की जाएगी। शरद पूर्णिमा वाली रात आश्रम में उपस्थित रहकर दवा प्राप्त की जा सकती है। इसी प्रकार क्षीरसागर स्थित त्रिमूर्ति टॉकीज के सामने चरक चिकित्सालय में सुबह 11 से 1 बजे तक व शाम 6 से रात 8 बजे तक श्वास की दवा नि:शुल्क दी जाएगी। जानकारी डॉ. डीएल त्रिवेदी ने दी। इसी शृंखला में शर्मा आयुर्वेदिक भवन सतीगेट, धन्वंतरि आयुर्वेद फ्रीगंज और चिमनगंज थाने के पास अविराज आयुर्वेद पर भी नि:शुल्क दवा का वितरण होगा। जानकारी रोमेश शर्मा ने दी।

चंद्रमा की दूधिया रोशनी के साथ आसमान से छलकेंगी अमृत की बूंदें
शरद पूर्णिमा 13 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन चंद्रमा की दूधिया रोशनी के साथ आसमान से अमृत की बूंदें भी छलकेंगी। शरद पूर्णिमा पर मंदिरों में पूजन-आरती के बाद भगवान को महाभोग लगाकर रात को प्रसादी वितरित की जाएगी। वहीं कई जगह हवन, गरबा तथा अन्य धार्मिक कार्यक्रमों की धूम रहेगी। शरद पूर्णिमा (कोजागिरी पूनम) १३ अक्टूबर रविवार को मनाई जाएगी। साल में 12 पूर्णिमा होती हैं, लेकिन शरद पूर्णिमा को खास माना गया है। धर्मशास्त्र के अनुसार इस दिन चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है। ज्योतिर्विद पं. आनंदशंकर व्यास ने बताया कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है। वह अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण रहता है। इस रात्रि को चंद्रमा का ओज सबसे तेज एवं ऊर्जावान होता है। साथ ही शीत ऋ तु का प्रारंभ भी होता है।

दूध और चावल की खीर रखते हैं आसमान के नीचे
शरद पूर्णिमा की रात दूध और चावल की खीर तैयार कर उसे खुले आसमान के नीचे रख दी जाती है। बताया जाता है कि चंद्रमा का तत्व एवं दूध पदार्थ समान ऊर्जा वाले होने के कारण दूध चन्द्रमा की किरणों को अवशोषित कर लेता है। मान्यतानुसार उसमें अमृत वर्षा होती है और खीर को खाकर अमृतपान का संस्कार पूर्ण माना जाता है।

महिलाएं सूर्योदय से पहले करेंगी शिप्रा स्नान
कार्तिक मास की पूर्णिमा से एक माह तक कार्तिक स्नान का दौर शुरू होगा। कार्तिक पूर्णिमा वाले दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले जागेंगी तथा राधा-दामोदर की मूर्ति साथ लेकर रामघाट पहुंचती हैं और शिप्रा के जल में स्नान कर एक माह के स्नान का क्रम शुरू करती हैं। घाट पर पूजन करके पुन: घर आती हैं और आकाशदीप लगाकर उत्सव मनाया जाता है।

इस रात को किया जाता है जागरण
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बावाला के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी और कुबेर का पूजन करने का विशेष महत्व है। इस रात को जागरण भी किया जाता है, जिसे कोजागरी पूनम भी कहा जाता है, अर्थात लक्ष्मी पूछती हैं, कि कौन जाग रहा है। यानी जो जागकर रात बिताता है, उस घर लक्ष्मी का वास होता है, ऐसी मान्यता है। गूलर के फूल भी इस रात में खिलते हैं, इसमें दत्तात्रेय भगवान का वास माना जाता है। इसके दर्शन का भी बड़ा महत्व है।

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