मंदिर के पुजारी-पुरोहितों की बैठक
महाशिवरात्रि के आयोजनों को लेकर महाकाल मंदिर प्रबंध समिति द्वारा सोमवार को मंदिर के पुजारी-पुरोहितों की बैठक का आयोजन किया गया। इसमें मंदिर समिति के प्रशासक अवधेश शर्मा द्वारा महाशिवरात्रि की तिथि को लेकर चर्चा की गई, ताकि व्यवस्थाओं का निर्धारण किया जा सके। बैठक में बताया गया कि देश के अधिकांश पंचांगों और कैलेंडरों में महाशिवरात्रि पर्व १४ फरवरी को दर्शाया गया है, लेकिन मंदिर की ओर से १३ फरवरी को महाशिवरात्रि बताया गया है। इस पर मंदिर के पुजारी-पुरोहितों ने बताया कि मंदिर में तीज-त्योहार और अन्य गतिविधियों का निर्धारण ग्वालियर स्टेट पंचांग के अनुसार होता है। इसमें महाशिवरात्रि १३ फरवरी को है। इस पर निर्णय लिया गया कि महाकाल मंदिर में १३ फरवरी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाएगा। मंदिर के पुजारी आशीष गुरु ने बताया कि १३-१४ फरवरी मध्यरात्रि को राजाधिराज को सेहरा धारण कराया जाएगा। इसमें तड़के होने वाली भस्म आरती १४ फरवरी को दोपहर १२ बजे होगी।
मंदिर का अपना कैलेंडर होगा
तिथि को लेकर अक्सर संशय होने के चलते महाकाल मंदिर समिति के सदस्य विभाष उपाध्याय की ओर से सुझाव दिया गया कि महाकाल मंदिर को पंचांग तैयार कर इसके आधार पर पर्व और त्योहार तय करना चाहिए। पुजारी-पुरोहितों का कहना था कि कई वर्षों से ग्वालियर स्टेट पंचांग के अनुसार सब कुछ निर्धारण होता है। इसमें बदलाव कैसे किया जा सकता है। इस पर महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य और पुजारी प्रदीप गुरु ने सुझाव दिया कि प्रति वर्ष प्रतिपदा के अवसर पर ग्वालियर स्टेट पंचांग के अनुसार महाकाल मंदिर के पर्व, त्येहार और अन्य गतिविधियों का कैलेंडर तैयार किया जाए। इसे देशभर में प्रचारित करें, ताकि किसी प्रकार का संशय नहीं हो। इससे लेकर मंदिर समिति की ओर महाकाल का कैलेंडर तैयार करने पर सहमति दी गई। मंदिर की दर्शन और अन्य व्यवस्था पर अलग से बैठक चर्चा का निर्णय हुआ।
प्रोटोकॉल पर लगाया जाए प्रतिबंध
बैठक समाप्त होने पर महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के सहायक प्रशासनिक अधिकारी एसपी दीक्षित ने कह दिया कि १३-१४ फरवरी को मंदिर के पुजारी-पुरोहितों के जजमानों की संख्या पर नियंत्रण होना चाहिए। यह सुनकर महाकाल मंदिर के महेश पुजारी नाराज हो गए। दीक्षित द्वारा उठाए गए मुद्दे पर महेश पुजारी ने कहा कि अधिकारी-जनप्रतिनिधियों का प्रोटोकॉल खत्म करने के साथ केवल दो के प्रवेश की अनुमति दी जाए तो पुजारी-पुरोहितों के जजमानों को एक-दो की संख्या में आएंगे। बात बिगड़ती देख मंदिर समिति के प्रशासक शर्मा ने कहा कि यह नीति और व्यवस्थागत विषय है। इस पर मंदिर की वृहद बैठक में बात होगी।