scriptआचार संहिता में उलझ गए महाकाल के सिक्के | Silver coins ending in Mahakal temple | Patrika News

आचार संहिता में उलझ गए महाकाल के सिक्के

locationउज्जैनPublished: Oct 22, 2018 12:41:31 am

Submitted by:

Lalit Saxena

महाकाल मंदिर में खत्म हुए चांदी के सिक्के

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आचार संहिता के कारण नए सिरे से जारी नहीं हो रहा ठेका, दूरदराज से आए श्रद्धालु यादगार के लिए खरीदते हैं सिक्का
उज्जैन. महाकाल मंदिर में आने वालों भक्तों को चांदी के सिक्के नहीं मिल पा रहे हैं। अधिकारियों में समन्वय के अभाव में प्रबंध समिति सिक्के तैयार ही नहीं करवा पा रही है। वहीं आचार संहिता की वजह से कार्य का ठेका भी नए सिरे से जारी नहीं हो पा रहा है।
महाकाल के अनेक भक्त राजाधिराज के चित्र वाले सिक्कों को बरकत और शुभ मानकर अपने पास रखते हैं। मंदिर प्रबंध समिति की ओर से १० ग्राम चांदी का सिक्का ११ सौ रुपए में बेचा जाता है। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं में इन सिक्कों की खासी मांग रहती है। मंदिर प्रबंध समिति कुशल कारीगर को चांदी देकर उचित पारिश्रमिक के आधार पर सिक्के तैयार कराती है। मंदिर में इन दिनों सिक्के उपलब्ध नहीं है। करीब २ माह से सिक्के बनकर नहीं आ रहे हैं और मंदिर समिति के पास स्टॉक में जो थे वह खत्म हो गए हैं। मंदिर समिति ने दो माह से न आर्डर दिया है और ना ही कारीगर को चांदी दी है। फिलहाल आचार संहिता होने के कारण मंदिर प्रबंध समिति सिक्के तैयार करने के नए ऑफर मंगवाने में हिचकिचा रही है।
त्योहार पर अधिक मांग
महाकालेश्वर भगवान के शिवलिंग और मंदिर शिखर की उकेरी गई आकृति के सिक्कों की मांग दीपावली, गुड़ी-पड़वा और नववर्ष पर अधिक होती है। दीपावली पर खासतौर गुजरात से आने वाले श्रद्धालुओं में चांदी के सिक्कों की खास मांग रहती है। इसके साथ धनतेरस पर भी बड़ी संख्या में भक्त चांदी के सिक्के खरीदते हैं। धनतेरस में १५ दिन और दीपावली में १७ दिन शेष हैं। इसके बाद भी महाकाल मंदिर प्रबंध समिति ने सिक्के तैयार करने के लिए कोई प्रक्रिया प्रारंभ नहीं की है। सहायक प्रशासनिक अधिकारी आरके तिवारी ने बताया कि मंदिर समिति इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों का मार्गदर्शन लेकर जल्द ही उचित निर्णय लेगी।
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