नई शुरुआत: भाला स्वरूप में देवता पूजन
इस वर्ष जूना अखाड़ा द्वारा अखाड़े के पंचों के निर्णय अनुसार एक नई परंपरा की शुरुआत की गई। सिहंस्थ में जिस प्रकार से सभी अखाड़ों के देवता स्वरूप भाले का संत महंत विधि विधान क्षिप्रा में पूजन करते हैं, वर्ष गंगा दशहरे पर गंगा प्रकाश भाले की पूजन की परंपरा शुरू हुई।
नटराज के सामने 18 घंटे नृत्य आराधना की अविरल प्रस्तुति
गंगा दशहरा पर्व पर रसराज प्रभात नृत्य संस्थान के कलाकारों ने भगवान नटराज स्वरूप श्री महाकाल के दरबार में नृत्य आराधना की अविरल प्रस्तुति दी। यह आयोजन सुबह 6 से आरंभ हुआ, जो रात 10 बजे तक लगातार बिना रुके चला। कलाकारों ने भगवान महाकाल की नृत्य के माध्यम से आराधना की। संस्था की सांस्कृतिक सचिव साधना मालवीय, मृणालिनी चौहान ने बताया कार्यक्रम में 5 साल की बालिका से लेकर 60 साल तक के कलाकारों ने इस आराधना में शामिल होकर भगवान देवों के देव महादेव की आराधना की। मंदिर परिसर में शिव तांडव, शिव पंचाक्षर स्त्रोत सहित अन्य प्रस्तुतियां दी गईं।
मोगरे की सुगंध से महकी भगवान श्रीकृष्ण की बगिया
अंकपात मार्ग स्थित भगवान श्रीकृष्ण की बगिया (शिक्षास्थली महर्षि सांदीपनि आश्रम) में गंगा दशहरा महापर्व पर मोगरे का शृंगार किया गया। इसकी खुशबू से समूचा वातावरण सुवासित हो गया। पं. रूपम व्यास ने बताया भगवान को हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मोगरे की कलियों का शृंगार कर फलों के राजा आम का महाभोग लगाकर आरती की गई। दिनभर दर्शन-पूजन का सिलसिला चला।