लैपटॉप लेकर पहुंची टीम ने मौके पर रखी टंकियों की भी गिनती की, लेकिन ये टंकियां मेला खत्म होने के बाद स्टाक में चढ़ी नहीं पाई गई। लिहाजा प्रथम दृष्टया माना गया कि 1.50 करोड़ के टंकी-स्टैंड वापस करने में जिम्मेदारों ने अनियमितता की है। अब खरीदी में शामिल अधिकारियों पर अमानत में खयानत, पद के दुरुपयोग सहित अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज होगा।
विधायक की शिकायत पर जांच, अधिकारियों के बयान
पीएचई के टंकी-स्टैंड घोटाले में तराना विधायक महेश परमार व एडवोकेट सोनल त्रिवेदी की शिकायत पर इओडब्ल्यू ने जांच प्रकरण कायम किया है। इस पर शुक्रवार को 9 सदस्यीय टीम स्टोर विभाग पहुंचीं। यहां दस्तावेज खंगाले और सारे दस्तावेजों की नकल अपने साथ ले गए। यहां पीएचई एइ अतुल तिवारी व स्टोर इंचार्ज मिथिलेश त्रिवेदी ने जानकारी टीम के सामनें रखी। बाद में दोनों अधिकारियों ने देवास रोड स्थित इओडब्ल्यू दफ्तर पहुंचकर बयान दर्ज कराए। अब उपलब्ध दस्तावेज व स्थितियों के अनुसार इओडब्ल्यू आपराधिक प्रकरण दर्ज करेगी।
निलंबित उपयंत्री व तत्कालीन इंजीनियर फसेंगे
सिंहस्थ में खरीदी गई 2 हजार लीटर की प्लास्टिक टंकी व स्टैंड खरीदी में तत्कालीन उपयंत्री मुकेश गर्ग (इसी प्रकरण में सस्पेंड), तत्कालीन इइ आरके श्रीवास्तव, स्टोर इंचार्ज रवींद्र हरणे सहित अन्य शामिल हैं। अब इओडब्ल्यू टीम जिम्मेदार अधिकारियों के बयान लेगी। इसके बाद आगामी कार्रवाई होगी। बता दें, मामले में संभागायुक्त कार्यालय से भी जांच कराई जा रही है।
जांच टीम में ये रहे शामिल
इओडब्ल्यू की ओर से उपनिरीक्षक अर्जुन मालवीय, पीके व्यास, सहा. उपनिरीक्षक अशोक राव, आरक्षक मोहन पाल, गौरव जोशी, लोकेंद्र देवड़ा, प्रकाश गोलावत, भरत मंडलोई, फिरोज खान आदि शामिल रहे। इओडब्ल्यू एसपी रघुवंशी के निर्देशन में पूरे प्रकरण की जांच हो रही है।
सप्लायर फर्म संचालकों के आज होंगे बयान
इओडब्ल्यू टीम मामले में टंकी, स्टैंड सप्लायर फर्म के संचालकों के भी बयान शनिवार को दर्ज करेगी। तीनों फर्मों को इस बाबत सूचना पत्र जारी किए गए हैं।
ये है पीएचइ का टंकी घोटाला
सिंहस्थ शिविरों में पेयजल व्यवस्था के लिए 2 हजार लीटर क्षमता की 400 टंकी व 300 लौहे के स्टैंड पीएचई ने बगैर टेंडर खरीदे थे। इनकी दर क्रमश: 14000 व 20000 रुपए है। सिंहस्थ समाप्ति के डेढ़ साल बाद तक जिम्मेदारों ने इस सामग्री का रिकॉर्ड रजिस्टर में नहीं चढ़ाया। वहीं पीएचइ के सिंहस्थ डिवीजन से भी शहरी डिवीजन ने 135 टंकियां व 100 लोहे के स्टैंड लिए थे। इनका भी लेखा-जोख स्टोर में दर्ज नहीं। सवाल यही कि आखिर ये टंकियां गई कहां। इस पूरे घपले को लेकर संभागायुक्त ने नवंबर 2017 में उपयंत्री मुकेश र्ग को सस्पेंड कर दिया था। अब भी वे सस्पेंड चल रहे हैं।
इन फर्मों से बगैर टेंडर हुई खरीदी –
– पीएचइ शहर डिवीजन ने पूर्व स्वीकृत दर मुताबिक साल 2016-17 में मेसर्स एसएस कंसलटेंट एंड बिल्डर्स देवास से दो ऑर्डर में 200 स्टैंड, मेसर्स विपिन कांट्रेक्टर इंदौर से 200 टंकी, पीएमबीएस ट्रेडर्स उज्जैन से 200 टंकी व मेसर्स शेल्टर बिल्डर्स एवं डेवलपर्स से 100 स्टैंड खरीदे।
– जरूरी कार्य होने से प्रभारी मंत्री की अनुशंसा पर सीधे ही चहेती फर्मों से अधिकारियों ने ये खरीदी कर डाली।
– इस खरीदी दौरान निविदा व स्वीकृत दर सत्यापन समिति के दस्तावेजों पर सहायक यंत्री व अन्य के हस्ताक्षर नहीं कराए गए, जबकि समिति में दो इइ व एक अधीक्षण यंत्री भी शामिल थे।
– इतनी सामग्री खरीदना अभिलेखों में दर्ज है, जिनका करीब 1.5 करोड़ भुगतान भी हुआ। लेकिन पर्व समाप्ति के बाद सामग्री वापस नहीं आई।