खाचरौद अंतर्गत ग्राम मीण निवासी 45 वर्षीय रामलाल गुरुवार को नाला पार करते समय बह गए थे। घटना के 55 घंटे बाद भी उनका कोई पता नहीं चला है। भाई-बहन के पर्व रक्षाबंधन पर हुई डूब की इस दर्दनाक घटना ने पूरे परिवार को डुबा दिया है। रामलाल की बड़ी बहन सुंदरबाई और छोटी बहन सावित्री बाई के लिए तो जैसे इस हादसे ने रक्षाबंधन के पर्व की खुशियों पर पूर्ण विराम लगा दिया है। कल तक बहनों की जिन आखों से आंसूथमने का नाम नहीं ले रहे थे, इंतजार में आज पथरा-सी गई हैं। पूछने पर बस वे यही कहती हैं कि एक बार भाई का चेहरा दिखा दो, बस एक बार उनकी कलाई पर राखी बांधने दो। उनका मन अब भी इस हकीकत को मानने को तैयार नहीं है कि शायद अब वे कभी अपने भाई को राखी नहीं बांध पाएंगी।
राखी के लिए बहनों को घर लेने गए थे रामलाल
रामलाल की बड़ी बहन सुंरदबाई खजुरिया व छोटी बहन सावित्री बाई गिनवानिया गांव में रहती हैं। रामलाल के बड़े बेटे गोवर्धन रुआंसे होकर बताते हैं, पिताजी बुआओं को लेने दो दिन पहले उनके घर भी गए थे। बुआओं ने यह कहकर उन्हें घर भेज दिया था कि भैया हम आ जाएंगे, बस आपतो रक्षाबंधन की तैयारन्ी करो। 14 अगस्त को बुआजी घर पर आईं। उनके आने से पूरे घर में अलग ही खुशियों का माहौल हो गया था। गोवर्धन के अनुसार हर साल पूरा परिवार साथ मिलकर रक्षाबंधन का त्यौहार मनाता है।
रामलाल पर थी परिवार की जिम्मेदारी
रामलाल परिवार के कर्ताधर्ता थे। उनके बड़े बेटे 30 वर्षीय गोर्वधन पांव से दिव्यांग है। वहीं छोटा बेटा 22 वर्षीय प्रद्युम है। दोनों बेटे मजदूरी करते हैं और 45 वर्षीय रामलाल अपनी 5 बिघा जमीन पर खेती कर परिवार का पालन करते थे। परिवार में पत्नी कलाबाई व 70 वर्षीय मां वरदी बाई हैं। इनके अलावा तीन बेटी ललिता, माया व मंजू की शादी हो चुकी है। रामलाल का बाढ़ में बहने की घटना ने पूरे परिवार को सदमें में ला दिया है।
तीसरे दिन भी नहीं मिली जानकारी
कन्हैयालाल गुरुवार दोपहर 1 बजे खेत पर कार्य के लिए भाई के साथ जा रहा थे। गांव में नई आबादी के समीप बनी पुलिया से पानी बहने से दोनों भाई हाथ पकड़कर नाला पार कर रहे थे। दोनों ने नाला भी पार कर लिया था, लेकिन रामलाल दोबारा कुछ कार्य के लिए दूसरी ओर जाने लगे। इसी दौरान वह बहाव के साथ बह गए। घटना की जानकारी मिलते ही बाढ़ आपदा प्रबंधन की टीम ने मीण में नाले के 5 किमी आगे तक छानबीन की बावजूद हादसे के 55 घंटे तक तलाश करने के बाद भी उनका कोई पता नहीं चला। इधर दो जिलों की सीमा का बहाना बनाकर प्रशासन टालमटोल कर रहा है।
इनका कहना
शुक्रवार को उज्जैन की रेसक्यू टीम ने जिले की सीमा में रामलाल को ढूंढने का प्रयास लेकिन सफलता नहीं मिली। आगे रतलाम जिले की जावरा तहसील की सीमा लग जाती है। संबंधित एसडीएम से संपर्क कर आगे की कार्रवाई करेंगे।
– पुष्पेंद्र अहके, एसडीएम खाचरौद