script30 वर्ष बाद चार शुभ योगों में आ रही है सोमवती अमावस्या | Somvati Amavasya is coming after 30 years in four auspicious yogas | Patrika News

30 वर्ष बाद चार शुभ योगों में आ रही है सोमवती अमावस्या

locationउज्जैनPublished: May 20, 2022 07:09:31 pm

Submitted by:

Hitendra Sharma

सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ सोमवती, शनि जन्मोत्सव और वट सावित्री अमावस्या, चंद्रबुधादित्य योग भी है सोमवार को।

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उज्जैन. ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या बड़ी अमावस्या के रूप में जानी जाती है, क्योंकि 12 माह में आने वाली जेठी अमावस्या बड़ी अमावस्या इसलिए भी कही गई है, क्योंकि यह माह 12 माह में बड़ा माह कहलाता है, इसलिए इसका नाम ज्येष्ठ माह है। इस बार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 30 मई सोमवार के दिन कृतिका उपरांत रोहिणी नक्षत्र सुकर्मा योग नाग करण वृषभ राशि के चंद्रमा की साक्षी में आ रही है।

ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार भारतीय ज्योतिष शास्त्र में योग नक्षत्र दिवस करण आदि के आधार पर वार त्योहार का महत्व बताया जाता है, अमावस्या तिथि विशिष्ट तिथियों की श्रेणी में आती है, वहीं स्थिति के साथ लगने वाला दिवस इसके महत्व को बढ़ाता है। यदि सोमवार या शनिवार के दिन होती है तो उस तिथि का महत्व बढ़ जाता है और चंद्र की प्रधानता हो जाती है, इस बार सोमवार के दिन अमावस्या होने से यह सोमवती अमावस्या कहलाएगी।

चंद्रबुधादित्य योग
अमावस्या के दिन चंद्र बुध आदित्य यह तीनों वृषभ राशि में रहेंगे। इस दृष्टि से चंद्र बुध आदित्य योग बन रहा है चंद्र और सूर्य का साथ में होना पितरों की उन्नति के मार्ग में अनुकूलता प्रदान करता है, इस दृष्टि से इस दिन पितरों के निमित्त किया गया देव ऋषि पितृ तर्पण तीर्थ श्राद्ध पिंडदान आदि विशेष महत्वपूर्ण होकर श्राद्ध कर्ता का उत्थान करते हैं।

वट सावित्री अमावस्या
वट सावित्री की पूजन की परंपरा भारतीय समाज में व्याप्त है जिसके पीछे मूल उद्देश्य पति की दीर्घायु करना तथा सौभाग्य में वृद्धि करना माना जाता है वट वृक्ष की पूजन करने से साथ ही सत्यवान सावित्री की कथा का श्रवण करने से पति की दीर्घायु होती है इस दृष्टि से वट का पूजन ज्येष्ठ मास में कृष्ण पक्ष तथा शुक्ल पक्ष दोनों ही समय किया जाता है अर्थात अमावस्या और पूर्णिमा ज्येष्ठ मास के 2 दिन सावित्री की पूजन के माने गए हैं इस दृष्टि से उनकी पूजन करनी चाहिए।

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