उज्जैन

पिता का सपना पूरा करने के लिए पुत्र ने पास की यह बड़ी परीक्षा

वर्तमान दौर में बदलते परिवेश में भाई-भाई आपस में झगड़ लेते है, लेकिन नागदा के एक जैन परिवार की दास्तां इसके विपरीत है।

उज्जैनJan 21, 2020 / 12:01 am

Ashish Sikarwar

वर्तमान दौर में बदलते परिवेश में भाई-भाई आपस में झगड़ लेते है, लेकिन नागदा के एक जैन परिवार की दास्तां इसके विपरीत है।

नागदा. वर्तमान दौर में बदलते परिवेश में भाई-भाई आपस में झगड़ लेते है, लेकिन नागदा के एक जैन परिवार की दास्तां इसके विपरीत है। जब मौत से जूझ रहे भाई को बचाने के लिए छोटे भाई ने लीवर देकर अपना ही जीवन दांव पर लगा दिया, लेकिन फिर भी भाई को नहीं बचा सका। ऐसे में परिवार ने जो सपना संजोया था वह भी टूट गया था, लेकिन लीवर देने वाले छोटे भाई ने परिवार के सपनों को साकार कर दुनिया छोड़ चुके भाई के गम पर महरम लगाने का काम किया है। परिवार में उसकी कमी आज भी खलती है लेकिन जब परिवार ने जो सपना देखा था वो पूर्ण हो गया, जिससे परिवार में खुशी का माहौल व्याप्त है।
बता दे कि रामसहाय मार्ग पर रहने वाले हेमंत कांकरिया के दो पुत्र है। वर्ष 2015 में बड़े बेटे हर्षित कांकरिया को पीलिया हो गया था, जिसे उपचार के लिए इंदौर के बाम्बे अस्पताल में ले गए थे, जहां डॉक्टरों ने उपचार करते हुए लीवर कमजोर बताया था। ऐसे में हर्षित के छोटे भाई मयंक ने बिना संकोच किए अपना लीवर दिया था, लेकिन भगवान की मर्जी के आगे उसका निर्णय विफल हो गया और वह अपने बड़े भाई को बचा नहीं सका। उस समय परिवार गहरे सदमे में थम सा गया लेकिन ईष्टमित्रों ने उन्हें ढांढस बंधाई।
पिता का सपना मयंक ने किया साकार
हर्षित के पिता हेमंत कांकरिया ने उसे बचपन से ही सीएम बनाने का सपना संजोया था। उनके सपने को हर्षित ने साकार भी कर दिया था लेकिन उसकी मौत के बाद परिवार का सपना टूट गया था, लेकिन भाई का फर्ज अदा करने वाले मयंक ने पिता के सपने को याद रखते हुए खुद सीए बनने की ठान ली। आखिरकार मयंक पिता के संजोए सपनों को पूरा करने में सफल हो गया। हाल ही में आए सीए के परिणामों में उसे सफलता मिली। उसके बाद कई सामाजिक एवं ईष्टमित्रों ने मयंक के घर पहुंचकर उसका बहुमान किया और पिता को बधाई दी।
शहर के लिए मिसाल है सगे भाई की कहानी
वैसे तो चार साल पहले परिवार में घटित हुई घटना काफी झंकझोर देने वाली है, लेकिन एक भाई का दूसरे भाई के लिए दिया गया बलिदान शहरवासियों के लिए एक मिशाल है। वर्तमान परिस्थिति में ऐसे किस्से बहुत कम देखने को मिलते जो मयंक ने अपने भाई के लिए किया था।

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