शहर में शुकरों के घूमने से गंदगी, बदबू फैलती है और नागरिकों का रहना मुश्किल हो जाता है। लोग निगम में शिकायतें भी करते हैं, लेकिन इन्हें हटाने के लिए ठोस व्यवस्था नहीं होने से कार्रवाई नहीं हो पाती। इस बार निगम ने फिर से दावा किया है, लेकिन जब तक कड़े इंतजाम नहीं होंगे इस समस्या से निजात नहीं मिल सकेगी। बीते तीन सालों में कई बार सूकर पकडऩे की कार्रवाई शुरू हुई लेकिन इसका प्रभावी असर नहीं हो सका। निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने अमले को निर्देशित किया की नोटिस की मियाद निकलने के बाद पुलिस बल के सहयोग से शुकर व इनके पालकों पर कार्रवाई कराई जाए। शहर में आवारा मवेशियों को लेकर भी हल्ला मचा हुआ है। इस पर भी निगम कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पा रहा है।
नाम-पते मालूम, लेकिन विवाद का भय
निगम प्रशासन को शहर के सूकर पालकों के नाम, पते व इनके द्वारा किस क्षेत्र में जानवर छोड़े जाते हैं इसकी पूरी जानकारी है, लेकिन शुकर पकडऩे दौरान होने वाले विवाद व मारपीट की घटनाओं के चलते अमला कड़ी कार्रवाई नहीं कर पाता। पूर्व में निगम ने ठेका देकर भी इस काम को कराया, लेकिन ठेकेदार के लोग भी इसमें सफल नहीं हो पाए। एक बार फिर निगम प्रशासन अब जल्द ही कार्रवाई शुरू कर सकता है। अब देखना है निगम की फिर से इन्हें खदेडऩे की प्लानिंग कितनी कारगर हो पाती है।