scriptगुजरात के सोमनाथ से आया महाकाल के लिए खास निमंत्रण | Special Invitation for Mahakal from Somnath of Gujarat | Patrika News

गुजरात के सोमनाथ से आया महाकाल के लिए खास निमंत्रण

locationउज्जैनPublished: Jan 19, 2019 12:51:56 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

12 ज्योतिर्लिंग पर प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले इस महोत्सव की शुरुआत 2018 में उज्जैन से की गई थी।

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उज्जैन. शैव महोत्सव का आयोजन 23, 24 और 25 फरवरी को सोमनाथ गुजरात में आयोजित किया जा रहा है। देश के 12 ज्योतिर्लिंग स्थान पर प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले इस महोत्सव की शुरुआत 2018 में उज्जैन से की गई थी। सोमनाथ मंदिर की ओर से भगवान महाकाल, मंदिर प्रबंध समिति और पुजारियों को सोमनाथ के लिए शुक्रवार को आमंत्रित किया गया।

प्रतिवर्ष देश के अन्य ग्यारह ज्योतिर्लिंगों में शैव महोत्सव आयोजित किए जाएंगे

राजाधिराज महाकलेश्वर के सान्निध्य में शैव महोत्सव का आगाज जनवरी 2018 में किया गया था। इसमें निर्णय लिया गया था कि प्रतिवर्ष देश के अन्य ग्यारह ज्योतिर्लिंगों में शैव महोत्सव आयोजित किए जाएंगे। उज्जैन में सामाजिक समरसता, समृद्धि और विश्व के कल्याण के संकल्प के साथ शैव महोत्सव समापन पर वर्ष 2019 में शैव महोत्सव गुजरात के सोमनाथ में आयोजित करने की घोषणा की गई थी।। प्रतीकात्मक रूप से सोमनाथ मन्दिर के सदस्यों को रजत ध्वज सौंपा गया। सोमनाथ में शैव महोत्सव 23, 24 और 25 फरवरी को आयोजित किया जाएगा। इसी क्रम में शुक्रवार को सोमनाथ शैव महोत्सव के संयोजक यशोधर भट्ट, सोमनाथ मंदिर के पुजारी पराग पाठक, मंदिर के सदस्य हितेश दामोदरा ने भगवान महाकाल के साथ महाकाल मंदिर प्रबंध समिति अध्यक्ष, प्रशासक, महाकाल मंदिर के पुजारी प्रदीप गुरु,पुरोहित अशोक शर्मा,लोकेश शर्मा मंदिर के सहायक प्रशासनिक अधिकारी दिलीप गरुड़ को सोमनाथ शैव महोत्सव के लिए आमंत्रित किया।

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दान, धर्म तो बताते हैं, अधर्म छुपाते हैं
कभी पाप हो जाए तो घरवालों को जरूर बता देना चाहिए। पाप को जितना छुपाओगे, वज्र के समान कठोर होगा और जीवन को बिगाड़कर रख देगा। पश्चाताप करने के साथ इसे बता देने पर इसका प्रभाव बिखर जाएगा। हम संसार के लोग उल्टा करते हैं। दान, धर्म करते हैं तो सबको बताते हैं। अधर्म करते हैं उसे छुपाते हैं। यह बात गुनाई खालसा में आयोजित श्रीराम कथा में साध्वी मीरा दीदी ने श्रीराम-भरत मिलन की कथा सुनाते हुए कही। दीदी ने कहा जिसका पुण्य होगा वही कथा में बैठ पाएगा। हर किसी के बस में कथा में बैठना नही है। कई बार बहुत कोशिश होती है, तो कथा सुन नहीं पाते हैं। कई बार सरलता से मिल जाती है। जब तक हाथ मे ताकत है भगवान की सेवा स्वयं करनी चाहिए। भोले व्यक्ति को चोट लग जाए, तो भगवान जी को भी चिंता होती है। कथा की पूर्णाहुति 20 जनवरी को होगी।

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