अक्टूबर 2020 में भी आ चुका है दल
महाकालेश्वर मंदिर में शिवलिंग परीक्षण के लिए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) और जिओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) के आठ सदस्यों की टीम उज्जैन आई है। टीम ने शिवलिंग की स्थिति का आकलन किया। साथ ही परिसर में स्थित ओंकारेश्वर और नागचंद्रेश्वर मंदिर की स्थिति का भी परीक्षण किया। दोनों विभागों की संयुक्त जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की जाएगी। इससे पहले दोनों विभागों का यह दल पिछले साल अक्टूबर में आया था। सहायक प्रशासनिक अधिकारी मूलचंद जूनवाल के अनुसार बाबा महाकाल की प्रतिमा के क्षरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर टीम हर साल जांच कर रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को पेश करती है। मंदिर में प्रतिदिन सैकड़ों और पर्व त्योहारों पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। टीम ने मंदिर के गर्भगृह में करीब आधे घंटे तक शिवलिंग की जांच फोटो-वीडियोग्राफी की है।
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इस तरह की जांच…
– ज्योतिर्लिंग के छिद्रों में लगी दूध, दही और पूजन सामग्री निकालकर सैंपल लिया।
– जिस कलश से बूंद-बूंद पानी गिरता है, उस पानी का सैंपल लिया।
– गर्भगृह के ऊपर ओंकारेश्वर मंदिर के काले पत्थरों की स्थिति को जांचा।
– सुबह भस्म आरती के दौरान बाबा को चढ़ाई जाने वाली भस्म का सैंपल लिया जाएगा।
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विशेषज्ञों ने स्ट्रक्चर का अवलोकन किया
एएसआई के डायरेक्टर प्रवीण कुमार ने बताया कि हमारे साथ साइंस डायरेक्टर रामजी निगम, जीएसआई के डायरेक्टर तपन पाल, वीपी गौर सहित अन्य ने मंदिर के स्ट्रक्चर और ज्योतिर्लिंग की जांच की गई है, कुछ अन्य सामग्री की भी जांच होना है, इसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी जाएगी।
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